Maratha Quota Stir: क्या है महाराष्ट्र में आरक्षण का मुद्दा? जिस पर नहीं थम रहा बवाल, सरकार ने बुलाई सर्वदलीय बैठक
Maratha Reservation Protest: महाराष्ट्र के जालना में एक सितंबर को भड़की हिंसा के बाद से ही सियासत गरम है. राठा समुदाय के लोगों की मांग है कि उन्हें नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिया जाए.
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Maratha Quota Stir: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मराठा आरक्षण मुद्दा एक बार फिर विवादों में है, जिसको लेकर महाराष्ट्र सरकार ने आज यानी सोमवार (11 सितंबर) को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. राज्य के डिप्टी सीएम अजित पवार ने जानकारी दी. पवार ने कहा कि मराठा समुदाय को आरक्षण देते समय यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अन्य पिछड़ा वर्ग प्रभावित न हो. इस मुद्दे का समाधान केवल चर्चा और बैठक से ही निकाला जा सकता है.
पुणे में डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा, "हमने मनोज जारांगे पाटिल की भूख हड़ताल को खत्म करने के लिए हर संभव प्रयास किए हैं, लेकिन उन्होंने इसे खत्म करने से इनकार कर दिया इसलिए सोमवार को मुंबई में सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है.' इतना ही नहीं कोल्हापुर में अपने संबोधन के दौरान अजित पवार ने कहा कि मराठा समुदाय के कई लोग अमीर थे, लेकिन बहुत से लोग गरीब थे जिन्हें मदद की जरूरत है.
क्या है पूरा मामला
जालना में एक सितंबर को भड़की हिंसा के बाद राजनीति गरमाई हुई है. मराठाओं के लिए नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग करने वाले हजारों प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के लाठीचार्ज के बाद हिंसा भड़की थी. मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे समुदाय को कुनबी दर्जा देने की मांग को लेकर करीब दो हफ्ते से भूख हड़ताल पर हैं.
क्या है मराठा आरक्षण की लड़ाई
साल 2018 में महाराष्ट्र सरकार ने कानून बनाकर मराठा समुदाय को 13% आरक्षण दिया था, मगर मई 2021 में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने मराठा आरक्षण पर रोक लगा दी और कहा कि आरक्षण को लेकर 50 फीसदी की सीमा को नहीं तोड़ा जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने साल 1992 में आरक्षण की सीमा को अधिकतम 50 फीसदी तक सीमित कर दिया था.
मराठा समुदाय की क्या है मांग
मराठा समुदाय के लोगों की मांग है कि उन्हें नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिया जाए, जैसे पिछड़ी जातियों को मिला हुआ है. मराठाओं का दावा है कि समुदाय में एक छोटा तबका है तो समाज में ऊंची पैठ रखता है, लेकिन समुदाय के बाकी लोग गरीबी में जी रहे हैं. जबकि सुप्रीम कोर्ट इस बात से इनकार कर चुका है कि मराठा समुदाय पिछड़ा हुआ है.
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