Maratha Reservation: खत्म हुआ मराठा आरक्षण आंदोलन, जानिए मनोज जारांगे की किन मांगों पर सीएम शिंदे ने भरी हामी
Maratha Reservation News: सीएम एकनाथ शिंदे ने जारांगे की मांगों पर चर्चा करने के लिए शुक्रवार रात एक बैठक की और एक मसौदा अध्यादेश के साथ शुक्रवार देर रात अपना एक प्रतिनिधिमंडल जारांगे के पास भेजा था.
Manoj Jarange Patil End his Indefinite fast: मराठा आरक्षण को लेकर लंबे समय से चला आ रहा आंदोलन शनिवार (27 जनवरी) को खत्म हो गया. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शनिवार को मराठा रिजर्वेशन एक्टिविस्ट मनोज जारांगे पाटिल से नवी मुंबई में मुलाकात की. सीएम ने बताया कि मराठा आरक्षण के संबंध में मनोज जरांगे की सभी मांगों को स्वीकार कर लिया है और इस संबंध में एक अध्यादेश जारी किया है, जिसके बाद जारांगे पाटिल ने अपना आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की. सीएम शिंदे ने जारांगे को जूस पिलाकर अनशन खत्म कराया.
जारांगे पाटिल ने इससे पहले कहा था कि अगर शनिवार सुबह तक उनकी मांगें पूरी नहीं हुई तो वह अपने समर्थकों के साथ मुंबई की ओर मार्च करेंगे. इस ऐलान के बाद मुख्यमंत्री शिंदे ने जारांगे की मांगों पर चर्चा करने के लिए अधिकारियों के साथ बैठक की और एक मसौदा अध्यादेश के साथ शुक्रवार देर रात अपना एक प्रतिनिधिमंडल जारंगे के पास भेजा था.
सरकार ने जारांगे की ये मांगें मानीं
- 54 लाख कुनबी लोगों को कुनबी का कास्ट सर्टिफिकेट दिया जाएगा. जरांगे ने सरकार से 4 दिनों के अंदर सर्टिफिकेट देने की मांग की थी. इस पर राज्य सरकार ने कहा है कि वंशावली मिलान के लिए एक कमेटी नियुक्त की गई है. इसके बाद ही कास्ट सर्टिफिकेट बांटे जाएंगे.
- जिन 37 लाख लोगों को प्रमाणपत्र दिए जा चुके हैं, उनकी जानकारी कुछ ही दिनों में मराठा प्रदर्शनकारियों को दी जाएगी.
- शिंदे कमेटी का कार्यकाल दो महीने बढ़ाया गया है. हालांकि प्रदर्शनकारी इसे 1 साल बढ़ाने की मांग कर रहे थे. जारांगे चाहते थे कि यह कमेटी कुनबी रिकॉर्ड की खोज जारी रखे. इस पर राज्य सरकार ने कहा है कि कमेटी का कार्यकाल फेज वाइज बढ़ाया जाएगा.
- जिन लोगों का रजिस्ट्रेशन हुआ है, उनके करीबी रिश्तेदारों को भी कुनबी सर्टिफिकेट मिलेगा. सरकार इस संबंध में अध्यादेश जारी करने को तैयार है.
- मराठा आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे. यह काम तय प्रक्रिया के तहत होगा.
- जारांगे की मांग थी कि आरक्षण मिलने तक मराठी बच्चों को मुफ्त शिक्षा मिले, सरकारी भर्तियां रोकी जाएं या सीटें आरक्षित हो. सरकार ने पहली मांग नहीं मानी है. सरकार ने कहा है कि सिर्फ मराठा लड़कियों को पोस्ट ग्रेजुएशन तक मुफ्त शिक्षा मुहैया करा सकते हैं.
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