भारतीय विदेश मंत्री इस जयशंकर के श्रीलंका दौरे के पहले दिन दोनों देशों के बीच आधा दर्जन करारनामों पर दस्तखत किए गए. इनमें भारत की मदद से बनने वाला अहम समुद्री रेस्क्यू कॉर्डिनेशन सेंटर भी शामिल है. साथ ही भारत के सहयोग से शीलंका में विशिष्ट डिजिटल पहचान परियोजना आगे बढ़ाने के एमओयू पर भी मुहर लगाई गई.
विदेश मंत्री जयशंकर ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटाबाई राजपक्षे से शिष्टाचार भेंट की. विदेश मंत्रालय के मुताबिक राष्ट्रपति राजपक्षे ने श्रीलंका के आर्थिक संकट में साल 2022 के दौरान मुहैया कराई गई 2.5 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता पर धन्यवाद जताया. वहीं विदेश मंत्री जयशंकर ने आश्वासन दिया कि श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबरने में भारत यथा सम्भव मदद करेगा.
डॉ जयशंकर ने श्रीलंका के वित्तमंत्री बासिल राजपक्षे के साथ हुई मुलाकात में कहा कि भारत की मदद 'पडोसी पहले' की नीति और SAGAR( क्षेत्र में सबके लिए सुरक्षा और विकास) के सिद्धांत से प्रेरित है. सोमवार शाम श्रीलंकाई विदेश मंत्री जीएल पैरीज़ के साथ हुई बातचीत में द्विपक्षीय सम्बन्धों क़ई व्यापक समीक्षा की. इस दौरान दोनों नेताओं की मौजूदगी में 6 समझौतों पर भी दस्तखत किए गए.
दोनों देशों के बीच हुए करारनामों में काफी अहम है एमआरसीसी या मेरीटाइम रेस्क्यू कोऑर्डिनेशन सेंटर. इसकी स्थापना के लिए भारत 60 करोड़ डॉलर की सहायता पहले ही मुहैया करा चुका है. श्रीलंका नौसेना के साथ मिलकर बनाए जाने वाले इस सेंटर के जरिए श्रीलंका तट के करीब से गुज़रने वाले जहाज़ों को आपदा में मदद मुहैया कराने का पूरा तंत्र बनाया जाएगा. इस परियोजना के तहत एक सब-सेंटर उस हम्बनटोटा बंदरगाह पर भी बनाया जाएगा जिसे चीन विकसित कर रहा है.
महत्वपूर्ण है कि साल 2017-18 में चीन ने श्रीलंका को इस तरह के केंद्र को विकसित करने में मदद का आश्वासन दिया था. हालाँकि क़ई श्रीलंकाई दलों के विरोध के कारण यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी थी. वहीं भारत को भी चीन की अगुवाई में ऐसे सेंटर के बनाए जाने से चिंताएं थी.
जानकारों के मुताबिक प्रस्तावित एमआरसीसी के लिए भारत जहाँ तीन डोर्नियर विमान श्रीलंका को मुहैया कराएगा. वहीं भारतीय रक्षा उपक्रम भारत इलेक्ट्रॉनिक की मदद से ज़रूरी उपकरण भी उपलब्ध कराए जाने का प्रस्ताव है, जिससे श्रीलंका तट के करीब होने वाली जहाजों को संकट के समय में मदद उपलब्ध कराने में मदद मिल सके.
आंकड़े बताते हैं कि श्रीलंका तट के पास से लगभग 2000 जहाज हर रोज़ गुजरते हैं. साथ ही, कोरोना संबंधी पाबंदियों में रियायत और पर्यटन में हो रहे इजाफे के मद्देनजर क्रूज़ जहाजों की आवाजाही में भी इजाफा होने लगा है. ऐसे में श्रीलंकाई नौसेना के मौजूदा एमआरसीसी की ज़रूरतें और सक्रियता जहाँ बढ़ी है वहीं आर्थिक दबाव के कारण मुश्किलों में भी इजाफा हुआ है. कोरोना पूर्व की स्थिति में एमआरसीसी को 2019 में करीब 283 सहायता सन्देश पर कार्रवाई करनी पड़ी थी जो अधिकतर मर्चेंट शिप या फिशिंग ट्रालर की तरफ से मिले थे.
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