वॉशिंगटन: अश्वेत अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद से अमेरिका में लाखों लोग नस्लभेद विरोधी प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया साइट फेसबुक में भी माहौल गर्म बताया जा रहा है. दरअसल, फेसबुक के कई कर्मचारी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कुछ पोस्ट फेसबुक से न हटाने पर मार्क जुकरबर्ग की आलोचना कर रहे हैं. उनका कहना है कि ट्रंप कुछ पोस्ट के ज़रिए सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा की चेतावनी दे रहे हैं.


‘लूट शुरू होते ही गोली मारने की भी शुरुआत हो जाएगी’


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अमेरिका में लगातार बढ़ते प्रदर्शन को देख हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने पोस्ट किया था कि ‘लूट शुरू होते ही गोली मारने की भी शुरुआत हो जाएगी.’ फेसबुक कर्मचारियों का अपने मुखिया से कहना था कि ट्रंप को इस पोस्ट को हटा देना चाहिए.


मार्क जुकरबर्ग ने दी अपने कर्मचारियों को सफाई


गौरतलब है कि अब मार्क जुकरबर्ग ने इन सब मुद्दों को लेकर अपने कर्मचारियों को सफाई दी है. उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए अपने 25 हज़ार कर्मचारियों को संबोधित किया. करीब अपने डेढ़ घंटे के संबोधन में जुकरबर्ग ने अपने कर्मचारियों को समझाया कि आखिर क्यों उन्हें ट्रंप की पोस्ट आपत्तिजनक नहीं लगी.


जुकरबर्ग ने दिया दिल्ली की एक घटना का उदाहरण


जुकरबर्ग ने कर्माचरियों को अपनी बात समझाते हुए उन्हें भारत में हुए एनआरसी और सीएए विरोधी प्रदर्शन का उदाहरण दिया. इस बीच उन्होंने यह भी साफ किया कि हिंसा भड़काने या चुनिंदा लोगों को निशाना बनाने को लेकर फेसबुक की नीतियां बिल्कुल साफ हैं. उन्होंने भारत की बात करते हुए कहा, ‘भारत में ऐसे मामले हुए हैं जहां उदाहरण के तौर पर किसी ने कहा कि अगर पुलिस ने ये काम नहीं किया तो हमारे समर्थक आएंगे और सड़कें खाली कराएंगे. ये अपने समर्थकों को सीधे-सीधे हिंसा के लिए भड़काने का ज्यादा प्रत्यक्ष मामला है.’ उनका कहना था कि इस तरह के आशय वाली सामग्री कंपनी बर्दाश्त नहीं करती है.


हालांकि, जुकरबर्ग ने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने जिस घटना का उदाहरण दिया उससे यह साफ पता चलता है कि वह बीजेपी नेता कपिल मिश्रा की बात कर रहे थे. कपिल मिश्रा ने दिल्ली में सीएए विरोधी प्रदर्शन के बीच पुलिस को अल्टीमेटम दिया था कि अगर तीन दिन में उसने प्रदर्शनकारियों को नहीं हटाया तो उनके समर्थक यह काम करेंगे. इसके बाद राजधानी में हुई हिंसा में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.


दिल्ली हिंसा: पुलिस ने 410 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए