नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जस्टिस ए के सीकरी और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की सदस्यता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने अलोक वर्मा का सीबीआई से गुरुवार को तबादला कर दिया था. सरकार ने अतिरिक्त निदेशक नागेश्वर राव को एजेंसी का प्रभार सौंपा है. सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले मंगलवार को ही आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के केंद्र के फ़ैसले को निरस्त कर दिया था. ऐसे में कुछ लोग जस्टिस सीकरी के फैसले पर हैरानी जता रहे हैं. ऐसे लोगों के सवालों पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्केंड्य काटजू ने सोशल मीडिया पर कई पोस्ट लिखी हैं.





आलोक वर्मा के ट्रांसफर का फैसला क्यों लेना पड़ा. हाई पावर्ड कमिटी का हिस्सा रहे सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस ए के सीकरी ने इसकी जानकारी पूर्व जज जस्टिस मार्कण्डेय काटजू को दी है. काटजू ने इसे लेकर एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत की है. उन्होंने बताया-


* जस्टिस सीकरी मेरे साथ दिल्ली हाईकोर्ट में काम कर चुके हैं. तब मैं चीफ जस्टिस था. मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि वो उच्च स्तरीय ईमानदारी रखते हैं. उन पर सरकार की कही बात का असर नहीं हो सकता.





* उन्होंने मुझे बताया कि सीवीसी की रिपोर्ट में कुछ बातें आलोक वर्मा के बिल्कुल खिलाफ थीं. उन्होंने रिपोर्ट में दर्ज सबूतों को भी देखा. उन्हें लगा कि ऐसी स्थिति में वर्मा इस पद पर नहीं रह सकते. बाद में भले वर्मा बेदाग निकलें. लेकिन अभी पद पर रहना उचित नहीं.





* रिपोर्ट तैयार करने से पहले सीवीसी ने वर्मा से बात की थी. ये सब रिपोर्ट में दर्ज था. कमिटी ने उनसे फिर बात करना ज़रूरी नहीं समझा.


* कानूनन किसी को बर्खास्त करने से पहले उससे बात करना ज़रूरी है. निलंबित करने से पहले नहीं. आलोक वर्मा को तो निलंबित भी नहीं किया गया. बराबर स्तर के पद पर ट्रांसफर किया गया है.





* लोग बिना पता किये टिप्पणी करने लगते हैं. ये दुर्भाग्यपूर्ण है. मीडिया भी सही भूमिका नहीं निभाता.


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