Marriage Act: समलैंगिक शादी पर CJI चंद्रचूड़ ने दिया ऐसा बयान, कई लोगों को लग सकती है मिर्ची
CJI Chandarchud: समलैंगिक विवाह पर डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, “मेरा मानना है कि कोर्ट को कम से कम इन कपल्स को सिविल यूनियन यानी दो लोगों के बीच एक लीगल रिलेशनशिप के अधिकार को मान्यता देना चाहिए
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Same Sex Marriage: सीजेआई चंद्रचूड़ ने शादी को लेकर कुछ ऐसी टिप्पणी कर दी, जो कई लोगों को चुभ सकती है. समलैंगिक विवाह पर डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, “मेरा मानना है कि कोर्ट को कम से कम इन कपल्स को सिविल यूनियन यानी दो लोगों के बीच एक लीगल रिलेशनशिप के अधिकार को मान्यता देना चाहिए और यह मान्यता तब तक होनी चाहिए जब तक की संसद इस संबंध में कानून बनाने के लिए कोई कदम नहीं उठाती.”
अक्टूबर 2023 में पांच जजों की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट में सेम सेक्स मैरिज पर अपना फैसला सुनाया था. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सीमा कोहली, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस सविंद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल थे. इन पांच जजों का फैसला यह था कि सुप्रीम कोर्ट ने सेम सेक्स मैरिज पर फैसला देने से इनकार कर दिया था. ऐसा नहीं है कि सबकी राय एक थी जजमेंट पर बाकी चीफ जस्टिस की राय बंटी हुई थी. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के साथ एक और जज यह चाहते थे कि और समलैंगिक कपल्स को साथ रहले और बच्चा गोद लेने का अधिकार मिले, जबकि बाकी तीन जजों का कहना था कि कानून के बगैर ऐसे जोड़ों को अधिकार हासिल नहीं हो सकते.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में दिया ये जवाब
हाल ही में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी गए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ से सेम सेक्स मैरिज से जुड़ा एक सवाल पूछा गया. उनसे सवाल पूछा गया था कि सेम सेक्स मैरिज पर अदालत ने इसे मान्यता देने से इनकार किया था. क्या यह कानून को मानवीय बनाने के न्यायालय के कर्तव्य के अनुकूल था? इसका जवाब देते हुए जस्टिस डिवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कानून को मानवीय बनाने के लिए हम उसे डिसरिगार्ड नहीं कर सकते. स्पेशल मैरिज एक्ट का एक महत्व है और इस कानून में पुरुष और महिला है. कोर्ट इसे पुरुष और पुरुष या महिला और महिला नहीं पड़ सकता.
संसद पारित करता है कानून
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि भारत में कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है. इसलिए हमें लगा कि यदि सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देना है तो यह काम संसद को ही करना होगा. उन्होंने कहा कि मेरा यह मानना है कि कोर्ट को कम से कम सिविल यूनियन यानी दो लोगों को एक लीगल रिलेशनशिप के अधिकार को मान्यता देनी चाहिए. जब तक संसद इस पर कोई फैसला नहीं सुनती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि मैं मेजोरिटी में नहीं था. क्योंकि बाकी तीन जजों का मानना था कि से सेक्स रिलेशनशिप को मान्यता देना कोर्ट के दायरे से बाहर है.
देश के एक बड़े क्षेत्र ने इसे स्वीकारा है- CJI Chandrachud
जस्टिस डिवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत का मुख्य न्यायाधीश होने के नाते मेरा दृढ़ विश्वास रहा है कि हमें न्याय प्रक्रिया को लोगों के घरों और दिलों तक ले जाने की जरूरत है. लोगों को समझना चाहिए कि कोर्ट में आने वाले सबसे छोटे मुद्दों पर भी सबसे गंभीरता से विचार किया जाता है. वह दिन जब हमने समलैंगिकता को अपराध मुक्त किया और आज के दिन के बीच इन संबंधों को समाज के एक बड़े क्षेत्र में स्वीकार किया है. मुझे लगता है कि बहुत सी चीज खुद समाज को ही करने की जरूरत है. आप सभी विवादों को समझने के लिए कोर्ट पर ही निर्भर नहीं रह सकते.
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