आतंकी संगठन छोड़ सेना में आए लांस नायक नजीर को मरणोपरांत अशोक चक्र
नजीर वाणी को लेकर सेना के एक अधिकारी ने बताया कि वह सेना में शामिल होने से पहले खूंखार आतंकी थे. बाद में वह हिंसा के रास्ते को छोड़कर देश सेवा के लिए सेना में शामिल हो गए थे.
श्रीनगरः जम्मू कश्मीर के रहने वाले लांस नायक नजीर अहमद वाणी को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च शांतिकाल वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया है. गुरुवार को इसकी घोषणा की गई. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, वाणी की पत्नी महजबीन को पुरस्कार प्रदान करेंगे. पिछले साल 25 नवंबर को लांस नायक वाणी कश्मीर घाटी के बटगुंड के समीप हीरापुर गांव में छह आतंकवादियों के खिलाफ आतंक-रोधी अभियान में शामिल थे. इस दौरान हुए मुठभेड़ में वह शहीद हो गए थे.
नजीर वाणी को लेकर सेना के एक अधिकारी ने बताया कि वह सेना में शामिल होने से पहले खूंखार आतंकी थे. बाद में वह हिंसा के रास्ते को छोड़कर देश सेवा के लिए सेना में शामिल हो गए थे. सेना के अधिकारी ने बताया कि लांस नायक वानी के देश और अपने राज्य की शांति के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया.
मुठभेड़ के बीच, वाणी ने लश्कर-ए-तैयबा के जिला कमांडर और एक विदेशी आतंकवादी को मार गिराया था. इस दौरान उनके शरीर में कई गोलियां लगी थीं. शहीद होने से पहले उन्होंने एक अन्य आतंकवादी को भी घायल कर दिया था.
वाणी 2004 में सेना की 162 इन्फैंट्री बटालियन (टेरिटोरियल आर्मी) (होम एंड हार्थ) जम्मू एवं कश्मीर लाइट इन्फैंट्री में शामिल हुए थे. उन्हें 2007 और 2018 में दो बार वीरता के लिए सेना पदक से सम्मानित किया गया था. एक आतंकवादी को बहुत करीब से मार गिराने के लिए उन्हें 2018 में सेना पदक दिया गया था.
जम्मू कश्मीर के कुलगाम जिले के चेकी अश्मुजी के निवासी वाणी के अलावा उनके परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटे अतहर (20) और शाइद (18) हैं. सुपुर्द ए खाक करते समय 21 तोपों की सलामी दी गई थी. इस दौरान करीब 500 से 600 लोग मौजूद थे.
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