शहीद भाई 'ध्रुव' तारे की तरह चमकता रहे इसके लिए बहन भेजती है शहीदों के नाम हाथ से बने कार्ड
गुड़गांव की रहने वाली नम्रता यादव वैसे तो पेशे से डेवलपमेंट कंसलटेंट है लेकिन अपने भाई की याद में भारतीय सेना के शहीद हुए जवानों के नाम पर हाथ से ग्रीटिंग-कार्ड बनाकर उनकी रेजीमेंट में भेजती हैं.
नई दिल्ली: लंदन स्कूल ऑफ इक्नॉमिक्स की पासआऊट एक बहन ने अपने शहीद हुए भाई की यादों को संजोने का नायाब तरीका निकाला है. गुड़गांव की रहने वाली नम्रता यादव वैसे तो पेशे से डेवलपमेंट कंसलटेंट है लेकिन अपने भाई की याद में भारतीय सेना के शहीद हुए जवानों के नाम पर हाथ से ग्रीटिंग-कार्ड बनाकर उनकी रेजीमेंट में भेजती हैं. इन कार्ड्स को नम्रता ने 'ध्रुव-तारा' नाम दिया है. क्योंकि नम्रता के बड़े भाई का नाम मेजर ध्रुव यादव था.
दरअसल, वर्ष 2015 में मेजर ध्रुव यादव पोखरण रेंज में एक टैंक के गोले के फटने से वीरगति को प्राप्त हो गए थे. मेजर ध्रुव यादव भारतीय सेना की 75वीं आर्मर्ड यूनिट के अधिकारी थे. 22 सितबंर 2015 को राजस्थान के पोखरण में युद्धभ्यास के दौरान वे हादसे की चपेट में आ गए थे.
अपने बड़े भाई की याद को संजोनें के लिए नम्रता यादव अब भारतीय सेना के शहीदों के नाम पर अपने हाथों से ग्रीटिंग कार्ड्स बनाती हैं और उनकी यूनिट्स और रेजीमेंट को भेजती हैं. नम्रता के मुताबिक, शुरूआत में वे सेना की फेसबुक या ट्वीटर एकाउंट से मिलने वाली जानकारी के आधार पर शहीदों के नाम पर कार्ड्स बनाती थीं.
लेकिन अब वे सेना मुख्यालय से संपर्क कर ज्यादा से ज्यादा कार्ड बनानी चाहती हैं ताकि हर शहीद की याद में वे इस तरह के कार्ड बना सकें. इससे उन शहीदों को तो सम्मान मिलेगा ही साथ ही उनका भाई 'ध्रुव-तारे' की तरह सौरमंडल में हमेशा हमेशा के लिए अमर हो जायेगा.
इन कार्ड्स में हरेक शहीद हुए जवान का नाम और उसकी बहादुरी के बारे में लिखा होता है. साथ ही मेजर ध्रुव की यूनिट यानि '75' भी लिखा होता है. नम्रता का कहना है कि भविष्य में वो इन कार्ड्स को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना चाहती हैं ताकि शहीद हुए जवानों की यादें देश के हरेक नागरिक तक पहु्ंच जाए. उनका मानना है कि अगर वे इन कार्ड्स की बिक्री करेंगी तो उसका सारा पैसा वे नेशनल डिफेंस फंड को दान कर देंगी.