Martyr Soldiers: किसी की एक साल की बच्ची, किसी के सिर कुछ ही महीनों बाद बंधना था सेहरा... रुला देगी पुंछ में शहीद हुए 4 जवानों की कहानी
Martyr Soldiers Last Rituals: जम्मू कश्मीर के पुंछ में शहीद हुए 4 जवानों में से दो उत्तराखंड के, जबकि 1-1 उत्तर प्रदेश और बिहार से है. इन जवानों की शहादत की खबर सुनकर परिवार सदमे में है.
Martyr Soldiers Family Story: जम्मू-कश्मीर के पुंछ में गुरुवार (21 दिसंबर) को आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में भारतीय सेना के चार जवान शहीद हो गए. इनकी पहचान उत्तराखंड के चमोली के नायक बीरेंद्र सिंह, उत्तराखंड के पौरी गढ़वाल के राइफलमैन गौतम कुमार, उत्तर प्रदेश के कानपुर के नायक करण कुमार और बिहार के नवादा से राइफलमैन चंदन कुमार के रूप में हुई है.
आज से इन जवानों का अंतिम संस्कार शुरू हो जाएगा. इन जवानों की शहादत ने उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ तोड़ दिया है. इनमें से किसी की सगाई हो चुकी थी और शादी की तैयारी हो रही थी तो किसी के पीछे हंसता खेलता पूरा परिवार छूट गया है. कानपुर के शहीद करण कुमार की दो बेटियां हैं, इनमें एक की उम्र एक साल, और दूसरी की उम्र 6 साल है.
राइफलमैन गौतम की हो चुकी थी सगाई
28 वर्षीय राइफलमैन गौतम कुमार गढ़वाल जिले के कोटद्वार के रहने वाले थे. सितंबर में ही उनकी सगाई हुई थी और 11 मार्च को शादी की तैयारी में पूरा परिवार जुट गया था, लेकिन अब उनके अंतिम संस्कार का इंतजार हो रहा है.
उनके बहनोई जितेंद्र कुमार कहते हैं, “परिवार में हर कोई उसकी शादी की तैयारी और खरीदारी में व्यस्त था. 30 सितंबर को ऋषिकेश में उनकी सगाई हुई थी लेकिन अब हमारी खुशियां गम में बदल गईं.'' जितेंद्र ने कहा कि गौतम ने खुद को सेना के लिए समर्पित कर दिया था, 2014 में सेना में शामिल हुए और पिछले दो वर्षों से पुंछ में उनकी पोस्टिंग थी.
गौतम की हाल की एक आश्चर्यजनक यात्रा को याद करते हुए, जितेंद्र ने कहा, “मैंने उन्हें अपने बेटे के मुंडन समारोह में आमंत्रित किया था. हालांकि, मैंने उन पर ज़्यादा दबाव नहीं डाला क्योंकि मैं जानता था कि आसानी से छुट्टी नहीं मिलती. हालांकि वह किसी तरह आने में कामयाब रहे और हम सभी को आश्चर्यचकित कर दिया. उन्होंने 15 दिन की छुट्टी के बाद 16 दिसंबर को अपनी ड्यूटी ज्वाइन की थी.
सेना से आया फोन तो मां ने उठाया लेकिन...
पौडी गढ़वाल जिले के शिवपुर के गौतम चार भाई-बहनों में सबसे छोटे थे. दो साल पहले उनके पिता का निधन हुआ था. परिवार को गौतम की मौत की खबर कैसे मिली, इस पर जितेंद्र ने कहा, 'उनकी मां को देर रात फोन आया... वह घबरा गईं. लेकिन उन्हें गौतम की मौत के बारे में सूचित नहीं किया गया. उनसे फोन अपने बड़े बेटे राहुल को देने के लिए कहा गया, जिसके बाद उन्हें अपने भाई के निधन की खबर दी गई.
दो बेटियों को छोड़ शहीद हुए हैं नायक बीरेंद्र
चमोली जिले की नारायणबगड़ तहसील के बमियाला गांव के 32 वर्षीय नायक बीरेंद्र सिंह का पार्थिव शरीर रविवार को रूड़की लाया गया, जहां से उनके गांव ले जाया जाएगा. उनके परिवार में पत्नी और दो बेटियां हैं. उनके परिवार में उनके माता-पिता, दो भाई और एक बहन भी हैं. उनके पिता सुरेंद्र सिंह एक किसान हैं और उनकी मां एक गृहिणी हैं. बीरेंद्र भाई-बहनों में सबसे छोटे थे और उनका एक भाई भारत-तिब्बत सीमा पुलिस में तैनात है. परिवार के करीबी लोगों के मुताबिक, बीरेंद्र की मौत की खबर मिलने के बाद से वे सदमे में हैं.
बेटे के सेना में होने से गौरवान्वित थे करण के परिवार के लोग
कानपुर के बाहुपुर गांव के नायक करण कुमार के परिवार के सदस्यों के लिए, 2013 में उनका सेना में शामिल होना एक गर्व का क्षण था. क्योंकि वह परिवार के पहले व्यक्ति थे जो सशस्त्र बलों में शामिल हुए थे. करण के दोस्त और पड़ोसी विनय कुमार कहते हैं, “उनकी मृत्यु उनके परिवार में सभी के लिए सदमे की तरह है. उनके रिश्तेदार उनसे भारतीय सेना में चयनित होने के टिप्स लेते थे.''
उनके परिवार में उनकी पत्नी अंजू और एक और छह साल की दो बेटियां हैं. उनके परिवार में उनके माता-पिता, एक छोटा भाई और दो छोटी बहने. हैं। उनका पार्थिव शरीर मंगलवार को कानपुर शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर उनके गांव पहुंचने की संभावना है.
परिवार के साथ होली मनाने की की थी बात
करण आखिरी बार सितंबर में अपने घर आए थे और करीब एक महीने तक रुके थे. 20 दिसंबर को करण ने अपने भाई अरुण को फोन कर परिवार का हालचाल पूछा था. उनके दोस्त विनय ने कहा, "करण ने अरुण से कहा कि वह फरवरी में घर आएंगे और परिवार के साथ मिलकर होली मनाएंगे."
आज होगा चंदन कुमार का अंतिम संस्कार
आतंकियों के हमले में शहीद हुए राइफलमैन चंदन कुमार बिहार के नवादा जिले के रहने वाले थे. सूत्रों ने बताया है कि आज उनका अंतिम संस्कार होगा. जानकारी के मुताबिक पार्थिव शरीर आज (सोमवार) सुबह 10 बजे गया एयरपोर्ट लाया जाएगा. दोपहर 12 बजे सड़क मार्ग के द्वारा गया से नवादा सद्भावना चौक होते हुए नवादा बागीबरडीहा वारसलीगंज मार्ग होते हुए उनके पैतृक गांव नारोमुरार पहुंचेगा. शाम 4 बजे के करीब अंतिम संस्कार होगा.