हैदराबाद: कोरोना वायरस के प्रसार पर किये गये एक अध्ययन में इसके हवा के माध्यम से फैल सकने का दावा किया गया है, लेकिन यह भी कहा गया है कि मास्क पहनने जैसे एहतियाती उपाय सुरक्षा कवच का काम कर सकते हैं. यह अध्ययन यहां स्थित सीएसआईआर-सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मोलेक्युलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) और सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी (आईएमटेक), चंडीगढ़ ने किया है.


वैज्ञानिकों ने हैदराबाद और चंडीगढ़ के तीन-तीन अस्पतालों से लिए नमूने


सीसीएमबी ने मंगलवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि वैज्ञानिकों ने हैदराबाद और चंडीगढ़ के तीन-तीन अस्पतालों में यह पता लगाने की कोशिश की थी कि अस्पताल के वार्ड से लिये गये हवा के नमूने में भी क्या वायरस की मौजूदगी हो सकती है. उन्होंने नमूने की जांच आरटी-पीसीआर पद्धति से की.


विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘इस अध्ययन में वायरस अस्पताल के कोविड-19 वार्ड से लिये गये हवा के नमूनों में पाया गया, लेकिन गैर कोविड-19 से लिये गये नमूनों में इसकी पुष्टि नहीं हुई. इससे यह जाहिर होता है कि अस्पताल में इन दोनों क्षेत्रों का सीमांकन करना एक प्रभावी रणनीति है. ’’ अध्ययन से यह भी प्रदर्शित होता है कि हवा में सार्स- सीओवी-2 (कोविड-19 का वायरस) की मौजूदगी का संबंध वार्ड या कमरे में कोविड-19 मरीजों की संख्या, उनमें इस रोग के लक्षणों और इससे ग्रसित रहने की अवधि से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है.


हवा में वायरस दो घंटे से अधिक समय तक पाया गया


अध्ययन में यह कहा गया है कि कोविड-19 के मरीजों ने कमरे में जब ज्यादा समय बिताया, तब हवा में वायरस दो घंटे से अधिक समय तक पाया गया और यह मरीजों के बैठने के स्थानों से दो मीटर से अधिक दूरी पर भी (हवा में) पाया गया.


सीसीएमबी के निदेशक राकेश मिश्रा ने कहा कि अध्ययन के नतीजों से यह प्रदर्शित होता है कि कोरोना वायरस हवा में कुछ देर तक मौजूद रह सकता है, लेकिन महामारी के नियंत्रण के लिए पहले से किये जा रहे एहतियाती उपायों को और मजबूत करने की जरूरत है. आईएमटेक के निदेशक संजीव खोसला ने कहा, ‘‘टीकों के उपलब्ध होने तक, सामाजिक उपाय:जैसे कि मास्क पहनना सर्वश्रेष्ठ एहतियाती कदम है.’’


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