नई दिल्ली: महाराष्ट्र में विधायकों का जो गणित है, उसमें फ्लोर टेस्ट के दौरान स्पीकर की भूमिका बहुत अहम हो जाती है. क्योंकि किसी भी विवाद की स्थिति में स्पीकर का फैसला ही सब कुछ तय करता है. बहुमत परीक्षण के दिन विधायकों के गुणा भाग के साथ-साथ लड़ाई प्रोटेम स्पीकर को लेकर भी है.बहुमत परीक्षण के दौरान किस स्थिति में क्या क्या हो सकता है, यहां इसका जिक्र किया गया है.
महाराष्ट्र में लड़ाई सत्ता की है. लेकिन ये सत्ता किसे मिलेगी, ये दो बातों पर टिकी हैं. पहला ये कि राज्यपाल किसे प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करते हैं और दूसरा ये कि प्रोटेम स्पीकर किसे एनसीपी विधायक दल का नेता मानते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि दोनों बातें जिसके पक्ष में जाएंगी, सरकार उसकी बन सकती है.
जिम्मेदारी लेता हूं कि विधायकों की सदस्यता निरस्त नहीं होगी- शरद पवार
सदन के वरिष्ठतम सदस्य को ही प्रोटेम स्पीकर चुनने की परंपरा है. राज्यपाल ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं हैं, ये उनके विवेक पर है. किसी एक नाम पर सहमति न बनें तो सबसे बड़े दल का सुझाया नाम भी प्रोटेम स्पीकर बन सकता है. प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करना राज्यपाल का विवेकाधिकार है फिर भी तीन नाम सबसे आगे चल रहे हैं.
कांग्रेस ने वरिष्ठता के आधार पर बाला साहेब थोराट का नाम आगे बढ़ाया है. बीजेपी की तरफ से बबनराव पाचपुते और कालिदास कोलंबकर के नाम की चर्चा है. महाराष्ट्र के राजनीतिक हालात से साफ है कि किसी एक नाम पर सहमति नहीं बनेगी. इसलिए सबसे बड़ा दल होने के नाते प्रोटेम स्पीकर पद पर बीजेपी अपने उम्मीदवार का नाम आगे बढ़ा सकती है.
अजित पवार को लेकर बोले शरद पवार- उनके पास व्हिप जारी करने का अधिकार नहीं
अगर प्रोटेम स्पीकर बीजेपी का बना तो शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के हाथ से सत्ता फिसल सकती है. क्योंकि प्रोटेम स्पीकर को तय करना है कि एनसीपी के विधायक दल का नेता वो किसे मानते हैं और फ्लोर टेस्ट में व्हिप जारी करने का अधिकार किसके पास है. क्योंकि जब अजित पवार ने राज्यपाल को एनसीपी के 54 विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा तब वो विधायक दल के नेता थे और चीफ व्हिप भी थे. अजित पवार के बीजेपी के साथ चले जाने के बाद एनसीपी ने जयंत पाटिल को विधायक दल का नेता चुन लिया है. व्हिप का अधिकार अगर एनसीपी विधायक दल के जयंत पाटिल को मिलता है तो फडणवीस सरकार का गिरना तय है.
शरद पवार बोले- सभी विधायकों को तैयार रहना है, गलत तरीके से सत्ता में आए लोगों को हटाएंगे
प्रोटेम स्पीकर ने अगर अजीत पवार को व्हिप का अधिकार दिया तो समीकरण बदल सकता है. अजीत पवार बीजेपी के समर्थन में विधायकों को वोट देने के लिए व्हिप जारी करेंगे. ऐसी स्थिति में शरद पवार के समर्थन वाले 51 विधायक बीजेपी के खिलाफ वोट करेंगे. व्हिप के खिलाफ वोटिंग को अमान्य करार दिया जाए या फिर मान्य इसका अधिकार स्पीकर के पास है. अगर वोट अमान्य हुए तो ऐसे में विधायकों की संख्या 288 से घटकर 237 रह जाएगा. फिर बहुमत का आंकड़ा 119 हो जाएगा. लेकिन इस थ्यौरी का एक और पक्ष है. दल-बदल कानून के तहत दो-तिहाई विधायक अगर टूट जाते हैं तो अजित पवार के व्हिप का कोई महत्व नहीं है.
एनसीपी के अभी 54 विधायक हैं. दल-बदल कानून के तहत सदस्यता निलंबन की कार्रवाई से बचने के लिए 36 विधायकों का अजित पवार से अलग होना जरूरी था. अभी शरद पवार के खेमे में 51 विधायक हैं. मतलब 51 विधायक व्हिप के खिलाफ जा सकते हैं. लेकिन 19 विधायक अजित पवार के साथ आ गए तो शरद पवार खेमे के एनसीपी विधायकों पर दल-बदल कानून लागू हो जाएगा. इसीलिए कांग्रेस को फ्लोर टेस्ट में भीतरघात का डर सता रहा है.
हालांकि हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस वीएन सिन्हा का मानना है कि स्पीकर बहुमत की अनदेखी नहीं कर सकते. इसलिए NCP, शिवसेना और कांग्रेस के पास अभी भी मौका है. लीडर ऑफ द हाउस प्रोटेम स्पीकर चुनता है. अगर एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस के पास बहुमत है तो फिर ये सोचना गलत है कि व्हिप अजीत पवार का माना जाएगा, जयंत पाटिल का नहीं. इस उम्मीद के भरोसे ही एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस गठबंधन लगातार एक्टिव है और बहुमत का दावा कर रही है.
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