नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में 70 में से 62 सीटें जीतीं. पार्टी का सक्सेस रेट 88 फीसदी रहा. अरविंद केजरीवाल का करीब 90 फीसदी नंबरों से पास होना बहुत बड़ा संदेश है. वैसे देश के इतिहास में 100 फीसदी नंबरों से भी सरकारें पास हुई हैं. सिक्किम में दो-दो बार 1989 और 2009 में ऐसा हो चुका है. लेकिन ये सिक्किम नहीं दिल्ली थी जहां मुकाबला त्रिकोणीय था लेकिन आम आदमी पार्टी ने उसे एकतरफा बना दिया.


दिल्ली में आम आदमी पार्टी की इस बंपर और एतिहासिक जीत का जब विश्लेषण हुआ तो पहला सवाल ये उठा कि क्या आप को बीजेपी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी वोट दे दिया? वोटिंग से पहल अक्सर केजरीवाल दूसरे दलों के कार्यकर्ताओं से ये अपील करते दिखे की आप अपनी पार्टी में ही रहो हमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन वोट आम आदमी पार्टी को दे देना. अब नतीजों से पता चलता है कि अरविंद केजरीवाल की ये अपील काम आ गई. कांग्रेस और बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने भी उन्हें ही वोट दे दिया.


क्या कहते हैं आंकड़े


बीजेपी दिल्ली में 62,28,172 सदस्यों का दावा करती है. लेकिन दिल्ली में बीजेपी को सिर्फ 35,75,430 लोगों ने ही वोट किया तो फिर बीजेपी के 26,52,742‬ कार्यकर्ताओं का वोट कहां गया? कांग्रेस भी सात लाख के करीब अपने सदस्य होने का दावा करती है. लेकिन उसे सिर्फ 3,95,924 वोट मिले. तो फिर ये क्यों न माना जाए कि बीजेपी और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भी आम आदमी पार्टी को ही वोट कर दिया.


दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने सिर्फ अपने काम के आधार पर वोट मांगा और उन्हें काम पर वोट मिला भी. केजरीवाल के इस मॉडल को चुनाव जीतने का दिल्ली मॉडल कहा जा रहा है. दिल्ली की इस जीत ने आम आदमी पार्टी को इतना उत्साहित कर दिया है कि उसके मन में फिर से राष्ट्रीय महत्वकांक्षाओं को लड्डू फूट रहे हैं. आम आदमी पार्टी के मन में ये लड्डू आज से पहले भी कई बार फूटे और हर बार उसे हार के साथ ये संदेश मिला कि दिल्ली पर फोकस करो. अब अरविंद केजरीवाल के पास बाकी राज्यों को दिखाने के लिए दिल्ली मॉडल है लेकिन सवाल ये है कि मॉडल के साथ अरविंद केजरीवाल संगठन कहां से लाएंगे?


आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपाल राय ने कहा कि बहुत से लोगों के कॉल आ रहे हैं. इसपर संगठन निर्णय लेगा. पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य प्रीति शर्मा मेनन ने दावा किया कि पार्टी पहले महाराष्ट्र में लोकल इलेक्शन लड़ेगी. वहीं आम आदमी पार्टी के विधायक शोएब इकबाल का दावा ने दावा किया कि पार्टी बिहार और बंगाल में भी चुनाव लड़ेगी. आम आदमी पार्टी गोवा, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा में चुनाव लड़ चुकी है लेकिन सफलता नहीं मिली.


साल 2014 में अरविंद केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ा था. नरेन्द्र मोदी को 5,81,022 वोट मिले जबकि अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 वोट मिले और वो 3,71,784 वोटों से हार गए. 2014 में सिर्फ अरविंद केजरीवाल ने ही लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था बल्कि उनकी पूरी पार्टी देशभर में 432 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ी. उन्हें सिर्फ 4 सीटों पर जीत मिली और 413 सीटों पर उनकी जमानत जब्त हो गई.


लेकिन इसके बाद भी आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय होने की महत्वकांक्षाएं कम नहीं हुईं. केजरीवाल ने कई राज्यों ने चुनाव लड़ने गए लेकिन उन्हें बुरी तरह से हार मिली. 2017 में उन्होंने गोवा की 39 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा एक भी सीट नहीं मिली. 38 सीटों पर जमानत जब्त हो गई. 2017 में ही वो चुनाव लड़ने पंजाब भी गए, वहां 112 सीटों पर चुनाव लड़ा. 20 सीटों पर जीते और 28 सीटों पर जमानत जब्त हुई. 2018 में राजस्थान में 142 सीटों पर चुनाव लड़ा सभी पर जमानत जब्त हुई. मध्य प्रदेश में 208 सीटों पर चुनाव लड़ा और 207 सीटों पर जमानत जब्त हुई. 2019 में हरियाणा में 46 सीटों पर AAP ने चुनाव लड़ा और सभी सीटों पर जमानत जब्त हुई.