नई दिल्ली: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर झूठ का सहारा लिया है. पहले कश्मीर पर और अब नागरिकता संशोधन एक्ट पर अंतरराष्ट्रीय मंच से झूठ बोल रहे हैं. इमरान ने ग्लोबल रिफ्यूजी फोरम के मंच से भारत के नागरिकता कानून का विरोध किया. साथ ही साथ ये कहकर खुद के एक्सपोज भी कर दिया कि वो किसी शरणार्थी को पाकिस्तान में शरण नहीं देंगे. खुद को मुस्लिमों का हितैषी बताने वाले इमरान की पोल इस बयान से खुल गई है. वैसे पाकिस्तान की पोल तो बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी खोला. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और उसके सहयोगी बांग्लादेश की आजादी को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं. यानी बांग्लादेश ने भी पाकिस्तान को एक्सपोज कर दिया है.


पिछले कुछ दिनों से इमरान खान खुद को मुसलमानों का हिमायती प्रोजेक्ट करने में जुटे हैं लेकिन मुसलमानों को आसरा देने के नाम पर उन्होंने साफ साफ पल्ला झाड़ लिया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एक ऐसा देश जो खुद अपने नागरिकों का जीवन सुधारने की कोशिश में जुटा है. बुनियादी सुविधाएं देने में जुटा है. इसलिए हमारा देश शरणार्थियों को सुविधा नहीं दे सकता.


स्विट्जरलैंड के जेनेवा में इमरान खान ग्लोबल रिफ्यूजी फोरम में बोल रहे थे लेकिन इस मंच को उन्होंने भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की पूरी करोशिश की. इमरान ने अपनी प्रोपेगेंडा पॉलिसी की शुरूआत कश्मीर से की और फिर घूम के नागरिकता संशोधन एक्ट पर आ गए.


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इमरान खान ने कहा कि सभी धार्मिक अल्पसंख्यक जिसमें हिन्दू, सिख, ईसाई जो भी भारत में शरणार्थी बनकर आए हैं वो नागरिकता ले सकते हैं लेकिन मुसलमान नहीं. भारत में 20 करोड़ मुसलमान हैं. अगर 2-3 फीसदी भी नागरिकता साबित नहीं कर सके तो वो कहां जाएंगे. झूठ बोलने के चक्कर में इमरान ने सीएए को और एनसीआर को एक में मिला दिया.


इमरान खान दुनिया के सामने गलत तर्क देते रहे. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने एनआरसी पास किया है. इसका मतलब ये है कि हर नागरिक को अपनी नागरिकता का सबूत देना होगा. लगभग 20 लाख लोग जिसमें ज्यादातर मुस्लिम हैं, अब उन्हें ये साबित करना होगा कि वो भारत के नागरिक हैं और भारत के एक मंत्री के मुताबिक 2024 तक ये पूरे भारत में लागू करेंगे.


जाते-जाते आखिर में इमरान एक और परमाणु युद्ध का शिगुफा भी छोड़ गए. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सिर्फ इस बात से परेशान नहीं है कि रिफ्यूजी संकट होगा. हम इसलिए चिंतित हैं क्योंकि ये संघर्ष की शक्ल ले सकता है और दो न्यूक्लियर देशों के बीच में संघर्ष होगा. हालांकि भारत सरकार ने इमरान की इस नई चाल से दुनिया को आगाह किया.


विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अपने संकीर्ण राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पहले भी इस तरह के झूठे और अनुचित टिप्पणी कर चुके हैं. नागरिकता संशोधन बिल की गूंज पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में भी खूब सुनाई दी. विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भारत सरकार के इस फैसले से आग बबूला दिखे.


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पाकिस्तान नफरत का जहर उगलने के लिए नागरिकता कानून का विरोध कर रहीं ममता बनर्जी जैसे नेताओं को हीरो के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहा है. कुरैशी ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री खुद कह रही हैं हिन्दुस्तान के लोगों से कि आप सड़कों पर निकलें और इस कानून के खिलाफ विरोध करें.


एनआरसी और सीएए को लेकर देश में भ्रम की स्थिति है. ज्यादातर लोगों के पास पूरी जानकारी नहीं है और इसी का फायदा पाकिस्तान भी उठा रहा है. इसीलिए आज अमित शाह ने खुद ट्वीट किया और कहा कि मैं पुनः स्पष्ट कर देता हूं कि NRC से किसी भी धर्म के भारतीय नागरिक को डरने की ज़रूरत नहीं है, आपको कोई बाहर नहीं कर सकता और अल्पसंख्यक समुदाय के लिए सरकार विशेष व्यवस्था करेगी क्योंकि विपक्ष ने उनमें भय फैलाया है. मगर जो घुसपैठिए हैं वो कोई भी हों उनको देश से जाना ही होगा. सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्री के इस संकेत के बाद सरकार बहुत जल्द NRC पर बड़ा एलान कर सकती है.