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मास्टर स्ट्रोक: बीजेपी-शिवसेना के बीच रार बरकरार, क्या राष्ट्रपति शासन की तरफ बढ़ रहा है महाराष्ट्र

राज्य में 9 नवंबर को मौजूदा सरकार का कार्यकाल खत्म हो रहा है. आज राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र सरकार के एडवोकेट जनरल से मुलाकात की. इसके बाद मुंबई के कमिश्नर भी राजभवन पहुंचे.

नई दिल्ली: महाराष्ट्र में शिवसेना सरकार बनाने का दावा कर रही है. मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अड़ी शिवसेना एक कदम पीछे हटने को तैयार नहीं है. संजय राउत ने कहा कि कानून और संविधान के दायरे में रहकर महाराष्ट्र में शिवसेना का सीएम बनाएंगे. उन्होंने कहा कि ये कैसे बनेगा वो फ्लोर ऑफ द हाउस में पता चलेगा. हमारे पास अल्टरनेटिव है, हम उस पर बात नहीं करेंगे. बीजेपी के पास अगर बहुमत है तो वो राज्यपाल को सूची दे दें, हम स्वागत करेंगे.

बीजेपी, शिवसेना की तरह तीखे तेवर भले ही नहीं दिखा रही लेकिन सीएम की कुर्सी का मोह देवेंद्र फडणवीस से भी नहीं छूट रहा है. ऐसे में सरकार बनने की संभावना कई सवालों में उलझती दिख रही है. सबसे बड़ा सवाल है कि क्या दोनों की लड़ाई में राज्य में राष्ट्रपति शासन लग जाएगा.

संभावना तीसरे विकल्प की तरफ बढ़ती दिख रही है क्योंकि आज दिन भर चले राजनीतिक मुलाकातों के दौर के बाद शाम होते होते राजभवन में चहलकदमी बढ़ने लगी. पहले महाराष्ट्र के एडवोकेट जनरल राज्यपाल से मिलने पहुंचे. फिर मुंबई के पुलिस कमिश्नर भी राजभवन पहुंच गए.

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आज क्या-क्या हुआ?

आज सुबह करीब साढ़े 10 बजे बीजेपी नेताओं को राज्यपाल से मिलना था लेकिन फिर इस मुलाकात को 2 बजे तक के लिए टाल दिया गया. सूत्रों के मुताबिक इसकी वजह 11 बजे मातोश्री में होने वाली शिवसेना की बैठक थी. माना जा रहा था कि इस बैठक में सरकार बनाने का कोई रास्ता निकल आएगा लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उद्धव ठाकरे ने इस बैठक में अपने विधायकों से कहा कि हमारा मकसद बीजेपी को परेशान करना नहीं है लेकिन बीजेपी नेता बताएं कि क्या हमारी मांग गलत है. हम सिर्फ उतना ही चाहते हैं जो लोकसभा चुनाव के पहले तय हुआ था. लेकिन बीजेपी और देवेंद्र फडणवीस हमें झूठा साबित करना चाहते हैं. बीजेपी 50- 50 के फॉर्मूले से पीछे हट रही है लेकिन हम अब पीछे नहीं हटेंगे.

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उद्धव ठाकरे ने अपनी बात नव निर्वाचित विधायकों के सामने रखी और सवाल पूछा कि क्या वे गलत हैं. विधायकों ने कहा कि आप जो भी निर्णय पार्टी और महाराष्ट्र के हित में लेना चाहते हैं, आप बेहिचक ले सकते हैं. यानी इस बैठक में वो नहीं हुआ जिसकी उम्मीद की जा रही थी.

इतना ही नहीं मातोश्री में हुई इस बैठक में. शिवसेना के हर एक विधायक की जिम्मेदारी शिवसेना के विभाग प्रमुख को दे दी गयी. विधायकों के हर फोन कॉल पर विभाग प्रमुख को नजर रखने के लिए कहा गया. विधायक किससे बात करे रहे है कितनी लंबी बात कर रहे है ये सारी जानकारी मातोश्री में देने का निर्देश दिया गया.

शिवसेना विधायकों को रंगशारदा बिल्डिंग में भेजा गया

इस सब के बाद शिवसेना के सारे विधायकों को रंगशारदा बिल्डिंग में भेज दिया गया. रंगशारदा बिल्डिंग की सुरक्षा कड़ी कर दी गयी है. यहां पर विधायकों के खाने पीने से लेकर उनकी हर जरूरत का इंतजाम किया गया. मच्छरों को भगाने के लिए खासतौर पर छिड़काव किया गया. शिवसेना ने ये सारी कवायद सिर्फ इसलिए की क्योंकि उसे ये डर सता रहा है कि कहीं बीजेपी सरकार बनाने के लिए शिवसेना में ही सेंध न लगा दे.

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शिवसेना के इस कदम के बाद बीजेपी ने अपना दांव चला. महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल, मंत्री सुधीर मुनगंटीवार समेत कई बड़े नेता दो बजे राजभवन पहुंच गए. राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी से इनकी मुलाकात हुई. इस मुलाकात के बाद महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि महायुति को राज्य की जनता ने स्पस्ट जनादेश दिया है. उसके आधार पर सरकार बननी चाहिए थी वो जल्दी बने सब चाहते हैं उसमें थोड़ा समय जा रहा है तो आगे क्या इसकी लीगल चर्चा के लिए हम राज्यपाल से मिले.

हालांकि राज्यपाल से हुई इस मुलाकात के पहले बीजेपी खेमे की तरफ से 120 विधायकों के समर्थन की खबरें आयी थीं लेकिन सरकार बनाने के लिए चाहिए 145 विधायक चाहिए जो बिना शिवसेना की मदद के नहीं हो सकता. इसीलिए शिवसेना पूरे ताव में है.

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आंकड़ों का गणित शिवसेना के पास भी नहीं है. खास तौर से शरद पवार के उस बयान के बाद कि वो विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे. शरद पवार ने कहा था कि जनता ने हमें विपक्ष में बैठने का मौका दिया है. शिवसेना बीजेपी 25 साल से साथ हैं आज नहीं तो कल साथ हो ही जाएंगे. शिवसेना किसी भी हाल में आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाना चाहती है लेकिन बीजेपी इसके लिए तैयार नहीं. महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार का कार्यकाल 9 नवंबर तक है यानी अब सिर्फ एक दिन और बचा है. अगर इस दौरान दोनों का झगड़ा नहीं निपटा तो राज्य में राष्ट्रपति शासन के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचेगा.

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