नई दिल्ली: महाराष्ट्र की राजनीति पिछले 20 दिनों में हर दिन बदल रही है. ये अंदाज लगा पाना बड़ा मुश्किल है कि आखिरी वादा कौन तोड़ रहा है और कौन, किसे मुख्यमंत्री बनवाना चाह रहा है. सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या शरद पवार बीजेपी की बी टीम की तरह काम कर रहे हैं. क्या महाराष्ट्र का सारा गेम शरद पवार के इशारे पर हो रहा है. और क्या ये भी संभव है कि आने वाले कुछ दिनों में बीजेपी और शरद पवार की एनसीपी एक दूसरे की सहयोगी हो जाए.


कल बीजेपी नेता नारायण राण ने कहा कि शिवसेना को उल्लू बनाने का काम चल रहा है दूसरा कोई नहीं. बीजेपी के नारायण राणे ने कल जो कहा, वो सुनने में खराब लग सकता है पर शिवसेना की हालत ऐसी हो गयी है कि उसे खुद भी नहीं समझ आ रहा कि उसके साथ हो क्या रहा है. एक तरफ सोनिया गांधी हैं तो दूसरी तरफ शरद पवार हैं.


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सवालों पर उद्धव ठाकरे की खीज


उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी के सर्वेसर्वा हैं पर उनकी हालत ये हो गयी है कि कांग्रेस से बात करने के लिए कल रात उन्हें अहमद पटेल से मिलने होटल जाना पड़ा और आज कांग्रेस कमेटी के नेताओं से मिलने के लिए वो फिर होटल पहुंच गए. शायद यही खीज उस वक्त नजर आई जब उद्धव से इस मुलाकात को लेकर सवाल किया गया. उन्होंने कहा कि क्या बातें हुई आपको मैं कैसे बताऊं? उद्धव के पास फिलहाल बताने को कुछ है भी नहीं क्योंकि अभी तक तो एनसीपी और कांग्रेस ने ही उन्हें कुछ नहीं बताया.


शरद पवार ने कहा कि आपस में पहले डिसकस करेंगे और आगे सरकार कैसे चले इसे लेकर जब तक सफाई नहीं होती तब तक आगे जाना मुश्किल है. जिस शरद पवार के भरोसे शिवसेना अपना मुख्यमंत्री बनाने का सपना पाले हुए है, उन्होंने कल साफ कर दिया कि अभी तो ठीक से बातचीत भी शुरू नहीं हुई. शिवसेना और एनसीपी की कोई औपचारिक मुलाकात अब तक नहीं हुई. बल्कि सरकार बनाने को लेकर भी कांग्रेस और एनसीपी की कमेटी के सदस्यों की पहली बैठक आज शाम हुई.


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कांग्रेस के उच्च सूत्रों ने किया ये दावा


हालांकि जिस दिन शिवसेना को राज्यपाल ने बुलाया था उस दिन एनसीपी के तमाम नेता ऐसे बयान देते रहे जैसे समर्थन की चिट्ठी को लेकर कांग्रेस सारा खेल खराब कर रही है लेकिन हकीकत ये है कि इस पूरे ड्रामे के सूत्रधार खुद शरद पवार ही हैं. कांग्रेस के उच्च सूत्रों ने एबीपी न्यूज को बताया कि पवार ने राज्यपाल को जो चिट्ठी और समय मांगने के लिए लिखी उसकी जानकारी भी कांग्रेस को नहीं दी यानी शिवसेना को अपनी शर्तों के मुताबिक राजी करने के लिए शिवसेना और कांग्रेस को भी अधर में रखे हुए हैं. शरद पवार के बारे में कहा जाता है कि वो जो बोलते हैं वो करते नहीं और जो करते हैं वो बोलते नहीं हैं.


नतीजे आने के बाद से शरद पवार बोल रहे थे कि हमें विपक्ष में बैठने का मैंडेट मिला है. विपक्ष में बैठने की बात करते-करते आज वो किंगमेकर की भूमिका में आ गए हैं. सिर्फ 54 विधायकों के बल पर पवार एक तरफ शिवसेना की उम्मीद जगाए हुए हैं और दूसरी तरफ कांग्रेस को लटकाए हुए हैं.


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ढाई ढाई साल के सीएम का फॉर्मूला चाहते हैं शरद पवार


ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब कांग्रेस ने पवार पर फैसला छोड़ दिया तो पवार वो फैसला ले क्यों नहीं आ रहे हैं. इस पर जब एनसीपी नेताओं से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि एक बैठक में पवार ने कहा कि शिवसेना के साथ हमारे वैचारिक मतभेद भी हैं और जब तक उसे लेकर स्थिति साफ नहीं होती और स्थायित्व की बात नहीं होती तब तक कोई फैसला जल्दबाजी में नहीं किया जाएगा. जबकि दूसरी तरफ शरद पवार ही शिवसेना को लगातार इस बात के लिए उकसाते रहे कि वो बीजेपी के साथ मुख्यमंत्री पद की मांग पर अड़ी रहे. लेकिन जब इस वजह से ही शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन टूट गया तो पवार ने वही दांव शिवसेना के साथ खेलना शुरू कर दिया. सूत्रों के मुताबिक शिवसेना और एनसीपी में पेंच इसलिए फंसा हुआ है. क्योंकि पवार ढाई-ढाई साल का मुख्यमंत्री का फॉर्मूला चाहते हैं यानी ढाई साल एनसीपी का सीएम और ढाई साल शिवसेना का सीएम हो. लेकिन शिवसेना इसके लिए राजी नहीं है ये आज संजय राउत ने साफ कर दिया.


संजय राउत का दावा- शिवसेना का ही होगा सीएम


संजय राउत ने साफ कहा कि सरकार बनेगी और मुख्यमंत्री शिवसेना का बनेगा. मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा, मुख्यमंत्री शिवसेना का ही शपथ लेगा. लेकिन फिर वही सवाल कि बिना पवार के समर्थन के शिवसेना ऐसा कैसे कहेगी. बीजेपी के नेता माधव भंडारी ने कहा कि जिस तरह की राजनीति कांग्रेस और एनसीपी खासकर पवार जी कर रहे हैं जाहिर है वो कोई बड़ा दांव खेलने की कोशिश में लगे हैं. ये बड़ा दांव क्या है ये तो आगे चलकर ही पता चलेगा.


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शरद पवार के गेम प्लास में कांग्रेस भी फंसी?


पवार के इस पावर प्ले में कांग्रेस भी फंस चुकी है, एक तरफ उसे सत्ता हाथ में आती दिख रही है तो दूसरी तरफ अपनी छवि खराब होने का डर उसे आगे बढ़ने से रोक रहा है. इसीलिए कांग्रेस का सारा जोर कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाने पर है. वहीं पवार की कोशिश है कि अगर सरकार बनाने की स्थिति बने तो कांग्रेस उसमें शामिल हो जिससे बाहर रहकर गिराने की संभावना कम हो जाए. यानी तीसरे नंबर की पार्टी बनने के बावजूद इस पूरे खेल में पवार सिर्फ अपना फायदा देख रहे हैं.


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पवार ने अपने गेम प्लान से शिवसेना के सारे रास्ते बंद कर दिए. अब वो चाहकर भी बीजेपी के साथ अपनी शर्तों पर वापस नहीं जा सकती. आज बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पहली बार सामने आकर उद्धव ठाकरे के उस दावे को गलत बताया जिसमें वो 50-50 के फॉर्मूले की बात किया करते थे.


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