नागरिकता कानून: असम में हिंसा भड़काने में शामिल था उल्फा, दस्तावेज में हुआ खुलासा
सरकारी दस्तावेज के मुताबिक असम में हुए आंदोलन के पीछे उल्फा का हाथ था. आंदोलनकारियों को हथियार मुहैया कराने की भी बात की जा रही थी. नागरिकता कानून का सबसे पहले असम में ही विरोध हुआ था.
नई दिल्ली: नागरिकता कानून के बहाने देश में अशांति फैलाई जा रही है. प्रदर्शनों की ये आग सबसे पहले असम से उठी. पुख्ता सूत्रों से जानकारी मिली है कि असम की हिंसा भड़काने में उल्फा शामिल था. उल्फा यानी वो आतंकवादी संगठन जिसने ना जाने कितने दशकों तक असम में खूनी उत्पात मचाया है.
नागरिकता कानून का सबसे पहले असम में ही विरोध शुरू हुआ था. ये अलग बात है कि असम के विरोध में धर्म वाला एंगल नहीं था बल्कि ये विरोध भाषा, संस्कृति, पहचान, जमीन और रोजी रोटी से जुड़ा था. सरकार को असम में हिंसा का अंदेशा भी था. इसलिए असम रायफल्स को तत्काल मैदान में उतारा गया और फिर सेना ने सड़कों पर फ्लैग मार्च किया. नागरिकता कानून पास करवाने के दौरान संसद से भी लगातार गृहमंत्री शांति बनाए रखने की अपील करते रहे.
लेकिन अब ये पता चला है कि असम में हुआ ये विरोध भी पूर्व नियोजित या पहले से ही प्लान्ड था और इसके पीछे यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम यानी उल्फा था. जिसने असम की धरती ना जाने कितने सालों तक आतंक का खूनी खेल खेला.
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सरकारी दस्तावेज इस पूरे हंगामे की कलई को खोलता है और बताता है कि सरकार को आनन-फानन मे उत्तर पूर्व के कुछ इलाकों में असम रायफल औऱ फिर सेना क्यों तैनात करनी पड़ी. दस्तावेज साफ तौर पर कहता है कि इस आंदोलन को आतंकवादी संगठन उल्फा समर्थन कर रहा था और आंदोलनकारियो को हथियार मुहैया कराने की बात भी की जा रही थी.
70 और 80 के दशक में जब असम से बाहरियों को भगाने के लिए आंदोलन चल रहा था तभी 1979 में उल्फा की स्थापना हुई थी. 2005 तक उल्फा 4,000 से 5,000 आतंकवादियों का संगठन था. पाकिस्तान की ISI बांग्लादेश के जरिए उल्फा को हथियार मुहैया कराती रही है.
नागरिकता कानून के बहाने उल्फा को एक बार फिर से असम में अशांति फैलाने का बहाना मिल गया है. दस्तावेज में एजेंसियों ने साफ तौर पर लिखा है कि उल्फा अपने कैडरों के साथ इस हंगामे मे पूरी तरह से शामिल था. इस दस्तावेज के मुताबिक उल्फा के एक कैडर ने अपने डिप्टी चैयरमैन प्रदीप गोगोई से कहा कि 60% हथियार गांव वालों को दे दिए जाएं तो स्थिति हमारे अनुसार रहेगी. दस्तावेज में ये भी लिखा है कि 12 दिसंबर को गुवाहाटी में नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन हुआ था और उस प्रदर्शन में उल्फा के महासचिव अनूप चेतिया और उसका सहयोगी प्रांजीत सैकिया भी शामिल हुए थे.
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देश में अशांति फैलाने की ये साजिश असम से लेकर दिल्ली तक फैली है. जामिया के बाद अब ये हिंसा दिल्ली के दूसरे इलाकों में भी फैलने लगी है. डर ये भी कहीं हिंसा की चपेट में दिल्ली के वीआईपी इलाके न आ जाएं. इस बाबत पूछे जाने पर खुफिया एजेंसी के एक आला अधिकारी ने बताया कि इस विरोध प्रदर्शन की आड़ मे कही कोई वीआईपी या उसका घर निशाना ना बन जाए लिहाजा दिल्ली पुलिस को कहा गया है कि वो वीआईपी इलाकों में इस तरह की पैट्रोलिंग करे जिससे देशद्रोही तत्व आने में हिचकिचाए.
सूत्रों के मुताबिक नागरिकता कानून के विरोध की आड़ में अर्बन नक्सल और देशद्रोही तत्व किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं. जिसकी वजह से केन्द्र सरकार ने राज्यों को पूरी सतर्कतता बरतने को कहा है. दिल्ली में लगातार हो रही हिंसक घटनाएं बता रही हैं कि प्रदर्शन के नाम पर सुनियोजित हमले की साजिश हो रही है. इसलिए अब उन लोगों की तलाश शुरू हो गई है जो इस साजिश में पर्दे के पीछे रोल निभा रहे हैं.
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