नई दिल्ली: अगले साल यानी 2019 के लोकसभा और आगामी विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग ने आज दिल्ली में एक अहम बैठक की. इस बैठक में सात राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी और 51 राज्य स्तर की राजनीतिक पार्टियों को न्योता दिया गया था. बैठक में विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग के सामने मांग रखी है कि VVPAT की पर्चियों का मिलान EVM में पड़े वोटों से किया जाए.
विपक्षी राजनीतिक दलों ने एक बार फिर से ईवीएम में गड़बड़ी का मुद्दा चुनाव आयोग के सामने रखा. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी, लेफ्ट, तृणमूल कांग्रेस समेत कई दलों ने ईवीएम में गड़बड़ी का मुद्दा उठाते हुए चुनाव एक बार फिर से बैलेट पेपर से कराने की मांग की, हालांकि इस बार विपक्षी दलों ने यह भी कहा कि अगर बैलेट पेपर से चुनाव कराना मुमकिन नहीं है तो फिर VVPAT का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर 20 से 30 फीसदी वोटों की पर्चियों का मिलान ईवीएम में पड़े वोटों से किया जाए. जिससे कि किसी भी तरह के संशय को दूर किया जा सके और चुनाव की निष्पक्षता के ऊपर सवाल ना खड़े हो.
बैठक में उठा वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का मुद्दा
बैठक में पहुंचे सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग के सामने अपना अपना पक्ष रखा. इस बैठक के दौरान कई दलों ने वोटर लिस्ट में सामने आ रही गड़बड़ी का मामला भी चुनाव आयोग के सामने उठाया. चुनाव आयोग ने भी भरोसा दिलाया कि अगर कोई दिक्कत है तो उसको जल्द ही दूर कर दिया जाएगा.
स्टेट फंडिंग के जरिए हो लोकसभा को छोड़ बाकी चुनाव
बैठक में क्षेत्रीय दलों ने यह मांग भी उठाई की चुनावी खर्च की सीमा पर चुनाव आयोग को पैनी नजर रखनी चाहिए और अगर मुमकिन है तो लोकसभा को छोड़ बाकी चुनाव स्टेट फंडिंग के ज़रिए होनी चाहिए. स्टेट फंडिंग का मतलब है कि चुनाव आयोग की निगरानी में केंद्र सरकार की तरफ से अलग-अलग राजनीतिक दलों को चुनाव लड़ने के लिए पैसा मिले इससे छोटे-छोटे राजनीतिक दलों को भी निष्पक्ष तरीके से चुनाव लड़ने का पूरा मौका मिलेगा.
क्षेत्रीय दलों की दलील थी कि मौजूदा हालातों में बड़े राजनीतिक दलों को तो बड़ा चंदा मिल जाता है, लेकिन छोटे राजनीतिक दलों को चुनाव लड़ने के लिए पैसे की कमी से जूझना पड़ता है.
चुनाव आयोग का भरोसा- निष्पक्ष होगी चुनावी प्रक्रिया
करीब 6 घंटे तक चली बैठक के बाद चुनाव आयोग ने सभी दलों को भरोसा दिलाया है कि उन्होंने जो बातें चुनाव आयोग के सामने रखी हैं, उन पर चुनाव आयोग विचार करेगा और कोशिश रहेगी कि चुनावी प्रक्रिया में कहीं कोई कमी ना रहे.
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