नई दिल्ली: एक पत्र जो जूनियर को लिखा गया था, लेकिन जब यह बात इंटरनेट पर आयी तो इसका मजा दोगुना हो गया. यह बात तब की है, जब मुरादाबाद के बिजली विभाग के सहायक इंजीनियर सुशील कुमार ने अपने से छोटे अधिकारी मोहित पंत को आधिकारिक पत्र लिखा तो उन्हें भी नहीं पता था कि यह सोशल मीडिया पर इतना वायरल हो जाएगा.


आखिर क्या है 'इंटरनेट पर आग' लगाने वाली इस माचिस की कहानी?
सुशील कुमार ने जो चिट्ठी लिखी उसका मजमून कुछ ऐसा है कि माचिस का डिब्बा जो उनके जूनियर ने 23 जनवरी को उधार में लिया था उसे लौटाने की बात उस पत्र में लिख रहे थे. सुशील कुमार ने मोहित पंत को लिखा कि आप ने 23 जनवरी को माचिस का डिब्बा उधार में लिया था उसे मैं मॉर्टीन जलाने में इस्तेमाल करता हूं. उस माचिस के डिब्बे में सिर्फ 19 माचिस की तीलियां थी. लेकिन मुझे बहुत ही अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि अभी तक आप ने उसे वापिस नहीं किया है.


फिर सहायक इंजीनियर आगे लिखते है कि आप ने मुझे सुनिश्चित किया था कि आप मुझे तीन दिन में माचिस का डिब्बा लौटा देंगे. आप ने ये भी कहा था कि इस बात को लेकर हमारे बीच कोई मतभेद नहीं रहेगा और हमारे बीच विश्वास कायम रहेगा. अगर कोई बात होती है तो आप आधिकारिक तौर पर इसके लिए जिम्मेदार होंगे.


पूरे मामले में पुलिस की एंट्री
इस पूरे मामले में पुलिस की भी एंट्री हो गई.  उत्तर प्रदेश पुलिस के एडिशन एसपी और पब्लिक रिलेशन ऑफीसर राहुल श्रीवास्तव ने वायरल चिट्ठी की फोटो ट्वीट कर लिखा, ''न दें तो बताइयेगा विधिक कार्यवाही की जाएगी.'' इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर माचिल से लगी आग को और हवा मिल गई. कोई पुलिस की प्रतिक्रिया के लिए तारीफ कर रहा था तो कह रहा था कि अब पुलिस के पास सिर्फ यही काम बचा है.


 


खत लिखने वाले दी सफाई, ये है पूरा मामला
सुशील कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि एक ट्रेनी कंप्यूटर ऑपरेटर ने हाल ही में डिपार्टमेंट ज्वाइन किया था. उसने मुझसे एक दिन कहा कि मुझे ये बताइए कि कैसे अपने सीनिर्यस को पत्र लिखेंगे. तभी मैं उसे ये फॉर्मेट बताने ही जा रहा था कि लाइट चली गई. उस दौरान मैंने कैंडल जलाने के लिए माचिस ढूढ़ना शुरू किया तो मुझे याद आया कि मैंने तो माचिस का डिब्बा मोहित को दे रखा है. जो अभी तक मोहित ने मुझे वापिस ही नहीं किया. मैंने इस बात पर पत्र लिखा जरुर था लेकिन मैंने भेजा नहीं था. किसी ने इस पत्र की फोटो खिंच कर सोशल मीडिया पर डाल दी इसके बारे में मुझे नहीं पता था.


इसके जवाब में पंत ने बताया कि यह पत्र मुझे अपने दोस्तों से व्हाट्सअप के जरिए मिला तो मैंने उसी समय कुमार सर से बात की. फिर कुमार सर ने मुझे सबकुछ डिटेल में बताया.