नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक सरकारी महिला कर्मचारी के बचाव में सामने आते हुए कहा कि तीसरे बच्चे के लिए मैटरनिटी लीव की मनाही वाला सरकारी नियम असंवैधानिक है. महिला कर्मचारी को उसके तीसरे बच्चे के लिये मैटरनिटी लीव देने से इंकार कर दिया गया था.


हल्द्वानी की रहने वाली उर्मिला मनीष की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जज राजीव शर्मा की एकल पीठ ने कहा कि महिला को उसके तीसरे बच्चे के लिए मैटरनिटी लीव देने से इंकार करना संविधान की भावना के खिलाफ है. उत्तराखंड द्वारा अपनाए गए उत्तर प्रदेश मौलिक नियमों की वित्तीय पुस्तिका के मौलिक नियम 153 के दूसरे प्रावधान में किसी सरकारी महिला कर्मचारी को तीसरे बच्चे के लिए मातृत्व अवकाश से इंकार किया गया है.


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कोर्ट ने 30 जुलाई को अपने फैसले में कहा कि इस नियम को खत्म कर देना चाहिए क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 42 और मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 27 के खिलाफ है. जो काम के लिए सही, मानवीय दशा और मैटरनिटी लीव राहत प्रदान करती है.


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इसपर मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता को यह अवकाश दिया जाए. मनीष को इस आधार पर मैटरनिटी लीव देने से इंकार कर दिया गया था कि उनके पहले से ही दो बच्चे हैं और उन्हें तीसरे बच्चे के लिये यह अवकाश नहीं दिया जा सकता है.