Krishna Janmabhoomi Case: मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (19 मार्च) को मस्जिद कमिटी की याचिका खारिज की. मस्जिद कमिटी ने विवाद से जुड़े 15 मुकदमों को एक साथ जोड़कर सुनवाई करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले का विरोध किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह विषय हाई कोर्ट में ही रखें. उत्तर प्रदेश के मथुरा में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर विवाद काफी पुराना है, जिस पर हाई कोर्ट में भी केस चल रहा है.


हालांकि, यहां स्पष्ट करना जरूरी है कि सभी मुकदमों को मथुरा जिला अदालत से हाई कोर्ट ट्रांसफर करने के खिलाफ मस्जिद पक्ष की याचिका अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. मस्जिद कमिटी की उस याचिका पर अप्रैल में सुनवाई होगी. आज का मामला 18 में से 15 केस को एक साथ जोड़ने के खिलाफ था. सुप्रीम कोर्ट ने इसमें दखल नहीं दिया है. अदालत में इस मामले में दखल से इनकार करते हुए मस्जिद कमिटी को इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने को कहा है.


हाई कोर्ट 15 मामलों की एक साथ कर रहा सुनवाई: हिंदू पक्ष के वकील


हिंदू पक्ष की तरफ से पेश हुए वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, ''सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद को अपना मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में पेश करने को कहा है. हाई कोर्ट ने कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से संबंधित 15 मामलों को एक साथ सुनवाई के लिए जोड़ा है." उन्होंने बताया, "आज शाही ईदगाह मस्जिद कमिटी उस आदेश के खिलाफ ही सुप्रीम कोर्ट में आई थी."






वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, ''सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप पहले ही इलाहाबाद हाई कोर्ट के चकबंदी आदेश के खिलाफ रिकॉल अर्जी दाखिल कर चुके हैं, इसलिए पहले रिकॉल अर्जी पर फैसला हो जाए और उसके बाद आप सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं." 


शाही ईदगाह को लेकर क्या विवाद है?


इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदू पक्ष का दावा है कि उत्तर प्रदेश के मथुरा में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को श्रीकृष्ण जन्मभूमि के ऊपर बनाया गया है. 2022 में इस जगह को श्रीकृष्ण जन्मभूमि घोषित किए जाने की मांग वाली याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया था. 


हिंदू पक्ष का कहना है कि ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला ने सन् 1618 में यहां पर मंदिर का निर्माण करवाया था. हालांकि, मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर मंदिर को गिराकर यहां 1670 में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया. वहीं, शाही ईदगाह मस्जिद के पक्षकारों का कहना है कि मस्जिद विवाद वाली जगह पर नहीं बनाई गई है. 


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