Mathura Stampede: 'मंदिरों को बदनाम करने की साजिश'- मथुरा की घटना पर हनुमानगढ़ी के महंत का बड़ा बयान
Banke Bihari Temple: वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी के दिन हुई भगदड़ की घटना पर हनुमानगढ़ी के महंत ने बड़ा बयान दिया है. कहा है कि ये मंदिरों को बदनाम करने की साजिश हो सकती है.
Banke Bihari Temple: मथुरा स्थित वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर (Banke Bihari Temple)में जन्माष्टमी (Janmashtami)के पर्व पर मंगला आरती के दौरान हुई भगदड़ (Stampede)की घटना में दो लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें प्रशासनिक लापरवाही की बात सामने आई है. इस घटना को लेकर हनुमान गढ़ी (Hanuman Garhi)के महंत राजू दास (Mahanth Raju Das)ने कहा कि यह मंदिरों को बदनाम करने की साज़िश हो सकती है. उन्होंने कहा कि मंदिर में तैनात पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर (FIR)होनी चाहिए. मथुरा के पुलिस कप्तान की मौजूदगी में ऐसी घटना होने पर भी राजू दास ने सवाल खड़े किए.
जांच समिति का किया गठन
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में मथुरा स्थित वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी के पर्व पर मंगला आरती के दौरान शनिवार को तड़के श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ जुटने के कारण भगदड़ मचने और दम घुटने की घटना की जांच के लिये एक समिति का गठन किया है. समिति 15 दिनों के भीतर घटना की पूरी तहकीकात कर जांच रिपोर्ट पेश करेगी.
मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सुलखान सिंह और अलीगढ़ के मंडलायुक्त गौरव दयाल की मौजूदगी वाली इस समिति को घटना के विभिन्न पहलुओं की जांच कर 15 दिन में अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपने काे कहा गया है.
गौरतलब है कि बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी पर्व के दौरान शनिवार को तड़के श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ के कारण हुयी भगदड़ एवं दम घुटने से एक महिला सहित दो लोगों की मौत हो गयी थी और कुछ लोग घायल भी हुए थे.
सेवा अधिकारी और प्रबंध कमिटी के सदस्य ने लगाया आरोप
मंदिर के सेवा अधिकारी और प्रबंध कमिटी के सदस्य ने आरोप लगाया कि मंदिर में कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर भीड़ इतनी ज्यादा थी कि मंगला आरती के दौरान लोग एक दूसरे के ऊपर चढ़ रहे थे. इस बीच अचानक जब भगदड़ मची तो लोग अपनी जान बचाने के लिए मंदिर के प्रांगण की दीवार पर चढ़ने लगे. भीड़ के अंदर जाने से मंदिर के गार्ड भी डर रहे थे.
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन की तरफ से कोई व्यस्था नहीं की गई थी. वीआईपी को पहले दर्शन कराने के लिए दबाव बनाने की भी बात कही जा रही है.आला अधिकारी अपने परिजनों को दर्शन कराने के लिए ऊपर की मंजिल पर ले गए थे और सीढ़ियों का गेट बंद कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि अगर मंदिर के प्रांगण का दरवाजा खुला रहता तो शायद ये हादसा नहीं होता.
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