क्यों पीएम मोदी और योगी को खून से खत लिखने को मजबूर हुए प्रदर्शनकारी, समझिए वृंदावन कॉरिडोर का पूरा केस
Vrindavan Temple Corridor: प्रस्तावित कॉरिडोर के निर्माण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. इसे लेकर अब लगातार विरोध तेज हो रहा है.
Vrindavan Temple Corridor Protest: मथुरा में बांके बिहारी कॉरिडोर का विरोध और तेज हो गया है. प्रदर्शनकारी अब इस हद तक चले गए हैं कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खून से 108 खत लिख डाले. उन्होंने पीएम मोदी और सीएम योगी से वृंदावन की विरासत को बचाने की अपील की. कॉरिडोर बनाने के योगी सरकार के प्रस्ताव का कड़ा विरोध हो रहा है. चलिए आपको बताते हैं कि ये पूरा विरोध क्यों किया जा रहा है.
पुजारियों, व्यापारियों और स्थानीय निवासियों ने मंगलवार को बांके बिहारी मंदिर के चारों ओर प्रस्तावित कॉरिडोर के निर्माण के खिलाफ अपना आंदोलन तेज कर दिया. इस दौरान कॉरिडोर के प्रस्तावित डिजाइन की प्रतियां जलाकर उन्होंने इस विरोध को भी आग देने का काम किया है. प्रदर्शनकारियों के धरने के कारण बांके बिहारी मंदिर के पास के बाजार मंगलवार (17 जनवरी) को लगातार तीसरे दिन बंद रहे.
खून से लिखे 108 खत
बांके बिहारी व्यापारी संघ के अध्यक्ष अमित गौतम ने कहा कि खून से लिखे 108 खत पीएम और सीएम को वृंदावन की विरासत को बचाने के अनुरोध के साथ भेजे गए हैं. उन्होंने कहा कि एक तरफ हम सुप्रीम कोर्ट से निवारण की मांग कर रहे हैं और दूसरी तरफ आंदोलन तेज किया जा रहा है.
बेघर होने का डर
वहीं, एक 85 साल के प्रदर्शनकारी शकुंतला देवी गोस्वामी के अनुसार कॉरिडोर के निर्माण से न केवल वृंदावन की विरासत बर्बाद हो जाएगी, बल्कि लोग बेघर भी हो जाएंगे. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर परियोजना की तर्ज पर बन रहे कॉरिडोर का विरोध 12 जनवरी से शुरू हुआ था. सुप्रीम कोर्ट 23 जनवरी को मामले की सुनवाई करेगा.
समिति का गठन
पिछले साल जन्माष्टमी समारोह के दौरान मंदिर में मची भगदड़ में दो श्रद्धालुओं के मारे जाने और आधा दर्जन के घायल होने के बाद, सरकार ने इस घटना की जांच करने और उपाय सुझाने के लिए एक समिति का गठन किया था. बांके बिहारी मंदिर से संबंधित एक रिट याचिका में 20 दिसंबर 2022 को हाई कोर्ट ने जिला प्रशासन को अनुमानित लागत के साथ कॉरिडोर की विकास योजना प्रस्तुत करने का आदेश दिया था. कॉरिडोर के निर्माण के लिए तीन जनवरी को सर्वे शुरू हुआ था.
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