Exclusive: दारुल उलूम देवबंद के सदर और जमीयत उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि राहुल गांधी का अनुसरण करते हुए अब विपक्ष के अन्य नेता भी संसद में इसी तरह निडर होकर हिंसा, नफरत और अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाएंगे.
दरअसल, जमीयत उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कल विपक्ष के नेता रूप में संसद में होने वाले राहुल गांधी के भाषण पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने जो अन्य बातें कीं हम उन पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते, लेकिन हिंसा और नफरत के संबंध में उन्होंने जो कुछ कहा हम उसका समर्थन करते हैं. इसलिए कि दुनिया का कोई धर्म हिंसा और नफरत फैलाने की अनुमति नहीं देता है, धर्म तो मानवता, सहिष्णुता, प्रेम और एकता का संदेश देता है.
कोई भी धर्म नहीं देता हिंसा की इजाजत
मौलाना अरशद मदनी ने आगे कहा कि जो लोग इसका प्रयोग नफरत और हिंसा के लिए करते हैं वो अपने धर्म के सच्चे अनुयायी नहीं हो सकते. उन्होंने कहा कि समझदार लोगों को हर स्तर पर ऐसे लोगों की निंदा और विरोध करना चाहिए. मौलाना मदनी ने कहा कि दुखद तथ्य यह है कि आज दुनिया में जहां-जहां हिंसा होती है उनमें से अधिकतर मामलों का आधार धार्मिक होता है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने जो बात कही है वो जमीयत उलमा-ए-हिंद पहले दिन से इस बात के पक्ष में रहा है. उन्होंने कहा कि हमेशा कहा गया है कि धर्म, प्रेम, सहिष्णुता और एकता सिखाता है. हिंसा चाहे किसी भी रूप में हो कोई भी धर्म उसकी अनुमति नहीं देता.
मॉब लिंचिंग का दुष्चक्र रुक नहीं रहा- मौलाना
मौलाना मदनी ने कहा कि मॉब लिंचिंग हिंसा ही का एक क्रूर रूप है. हमारे पास क़ानून भी मौजूद है, मगर यह कितने दुख की बात है कि मॉब लिंचिंग का दुष्चक्र रुक नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि हम लम्बें समय से इस पर अंकुश लगाने के लिए एक कठोर कानून बनाने की मांग करते आए हैं. वहीं, सुप्रीम कोर्ट भी इस पर अपना नाराजगी दिखा चुकी है और केंद्र को इसे रोकने के लिए कड़े आदेश भी दे चुकी है. मगर, धर्म के आधार पर होने वाली हिंसा के इस भयावह सिलसिले को रोकने का कोई गंभीर प्रयास नहीं हुआ.
मुसलमानों ने अपनी सुरक्षा की लड़ाई अकेले लड़ी
मौलाना अरशद मदनी ने आगे कहा कि हाल ही में जब उड़ीसा और अलीगढ़ में माॅबलंचिंग हुई उस समय मीडिया से बात करते हुए नेता विपक्ष से हमने अनुरोध किया था कि इस प्रकार की हिंसा की रोकथाम के लिए एक कठोर कानून लाने के लिए सरकार पर दबाव डालें. इसी के साथ-साथ उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद मुसलमानों ने अपनी सुरक्षा की लड़ाई अकेले लड़ी. ऐसे में अब वह संविधान, लोकतंत्र की सुरक्षा और अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं.
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