बिजली के मीटर पर उंगली से लिखो जमजम, कम हो जाएगा बिल? वीडियो पर मुस्लिमों से मौलाना ने की ये अपील
मौलाना गोरा ने कहा, 'सोशल मीडिया पर लोग मजहबी लिबास पहनकर मुसलमानों को गुमराह कर रहे हैं. वे अल्हम्दुलिल्लाह और माशा अल्लाह जैसे अल्फाज इस्तेमाल कर भरोसा जीतते हैं, उनसे बच कर रहें'.

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो को लेकर हिंदुस्तानी उलेमा ने कड़ी आपत्ति जताई है. इस वीडियो में दावा किया जा रहा है कि अगर कोई अपने बिजली के मीटर पर सीधे हाथ की पहली उंगली से जमजम लिख देगा तो उसका बिजली का बिल कम हो जाएगा. इस पर जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक और प्रसिद्ध देवबंदी उलेमा मौलाना कारी इसहाक गोरा ने नाराजगी जाहिर करते हुए इसे इस्लाम के नाम पर फैलाया गया अंधविश्वास बताया है.
मौलाना कारी इसहाक गोरा का बयान
मौलाना गोरा ने कहा, 'इस्लाम मेहनत, सच्चाई और ईमानदारी पर जोर देता है, न कि किसी भी अंधविश्वास और मनगढ़ंत बातों पर. अगर इस तरह से बिजली का बिल कम किया जा सकता तो फिर पूरी दुनिया में कोई भी बिल नहीं चुकाता और बिजली कंपनियां बंद हो जातीं'. उन्होंने कहा कि इस्लाम अंधविश्वास और झूठे दावों को पूरी तरह खारिज करता है. ऐसे झूठे वजीफे इस्लाम की सही तालीमात को कमजोर करते हैं और आम लोगों को गुमराह करते हैं.
ये कौन सा नशा करते हैं यार... टोटका भी ऐसा बताया है कि हँसी छूट जाती है।
— Ashwini Yadav (@iamAshwiniyadav) March 23, 2025
बिजली के मीटर पर “जम-जम” लिख दीजिये हर 15 दिन बाद तो बिजली का बिल कम आएगा।
ये ज्ञानी पाकिस्तान के हैं। pic.twitter.com/jLnQefVZix
सोशल मीडिया पर फैल रहे झूठे दावे
मौलाना गोरा ने कहा, 'आजकल सोशल मीडिया पर कई फर्जी लोग मजहबी लिबास पहनकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं. वे अल्हम्दुलिल्लाह और माशा अल्लाह जैसे अल्फाज इस्तेमाल करके लोगों का भरोसा जीतते हैं और फिर उन्हें झूठी बातों पर यकीन दिलाते हैं. उन्होंने मुसलमानों से अपील की है कि किसी भी बात को आंख बंद करके न मानें और बिना तस्दीक (जांच-पड़ताल) किए उसे आगे न बढ़ाएं'.
उलेमा की अपील
मौलाना गोरा ने कहा कि मुसलमानों को चाहिए कि वे सिर्फ उन्हीं उलमा की बात सुनें जो कुरआन और हदीस के हवाले से बात करते हैं. उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि सोशल मीडिया पर फैलने वाली हर बात पर यकीन न करें और सही इस्लामी इल्म को अपनाएं. उन्होंने कहा कि इस्लाम को झूठे वजीफों और अंधविश्वास से बचाना जरूरी है. ऐसी झूठी बातें न सिर्फ दीन की सही तालीमात को कमजोर करती हैं बल्कि आम लोगों को गुमराह भी करती हैं.
उन्होंने कहा कि इस तरह के अंधविश्वास और झूठे दावों से बचना हर मुसलमान की जिम्मेदारी है. दीन की सही समझ हासिल करने के लिए कुरआन, हदीस और मुस्तनद उलमा की रहनुमाई सबसे बेहतर जरिया है. मुसलमानों को चाहिए कि वे झूठे वजीफों से बचें और सही इस्लामी तालीम को अपनाएं.
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