नई दिल्लीः यूपी में चुनाव से आठ महीने पहले ही गठबंधन क़रीब करीब तय हो चुके हैं. चुनाव की तारीख़ों का एलान जब भी हो कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी इस पर फ़ैसला लगभग हो चुका है. एबीपी न्यूज़ के पास इसकी पक्की और पूरी जानकारी है. मायावती अकेले मैदान में उतरेंगी.. सत्ता बचाने के लिए बीजेपी छोटी पार्टियों के साथ चुनावी तालमेल करेगी. बीएसपी और कांग्रेस से गठबंधन कर हाथ जला चुके अखिलेश यादव ने इस बार पुराने साथियों पर ही भरोसा जताया है. असदुद्दीन ओवैसी और ओम प्रकाश राजभर का अपना अलग मोर्चा है.
मायावती ने इस बार बिना किसी गठबंधन के अपने दम पर चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया है. बीएसपी सभी 403 सीटें पर चुनाव लड़ेगी. बहिन जी की पार्टी के कुछ नेता बिहार की तरह यूपी में भी एक गठबंधन बनाना चाहते थे. इसीलिए असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी से बातचीत शुरू हो गई थी. लेकिन बीच में ही बात बिगड़ गई. मायावती अब अकेले ही चुनावी मैदान में नज़र आयेंगी. 2023 का चुनाव वे 2007 के फ़ार्मूले पर लड़ना चाहती हैं. मतलब दलित, ब्राह्मण और मुस्लिम वोटरों के सामाजिक समीकरण के सहारे. कहते हैं कि जो फ़ार्मूला हिट हो जाता है, उसे बार बार आज़माया जाता है. मायावती इसी मूड में हैं.
अब बात करते हैं बीजेपी की. बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती सत्ता बचाने की है. ये सत्ता उसे बड़ी मुश्किल से 14 साल के बनवास के बाद मिली थी. बीजेपी के लिए सबसे बड़ा सरदर्द सहयोगी दलों के बड़े बड़े अरमान हैं. छोटी छोटी पार्टियों की बड़ी बड़ी महत्वाकांक्षाएं हैं. अनुप्रिया पटेल का अपना दल है. संजय निषाद की निषाद पार्टी है. ऊपर से बिहार वाली सहयोगी पार्टियां भी अभी से दवाब बनाने लगी हैं. नीतीश कुमार अपने लिए हिस्सा चाहते हैं. सन ऑफ मल्लाह मुकेश सहनी 2 जुलाई को यूपी में अपनी पार्टी लॉन्च करने वाले हैं. पिछली बार बीजेपी ने 11 सीटें अपना दल के लिए और 6 सीटें ओम प्रकाश राजभर के लिए छोड़ी थीं. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक़ बीजेपी की तैयारी इस बार कम से कम 385 सीटें पर अपने उम्मीदवार उतारने की है.
अखिलेश यादव ने तो बड़ी पार्टियों से तौबा सी कर ली है. 2017 का चुनाव वे कांग्रेस के साथ लड़े थे. 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए उन्होंने अपने धुर विरोधी मायावती के साथ गठबंधन किया था. इस बार उनके छोटी पार्टियों के साथ चुनावी तालमेल किया है. जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी पहले से उनके साथ है. केशव देव मौर्य का महान दल और संजय चौहान की जनवादी पार्टी भी उनके साथ हो गई है. समाजवादी पार्टी ने 360 सीटें पर चुनाव लड़ने का मन बनाया है. बाक़ी सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ने का इरादा है. सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत जारी है. हो सकता है एक दो और भी छोटी पार्टियां समाजवादी मोर्चे में शामिल हो जायें.
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