2019 की रणनीति तय करने के लिए पार्टी नेताओं के साथ बैठक करेंगी मायावती
उत्तर प्रदेश की दो प्रमुख पार्टी एसपी और बीएसपी के गठबंधन का अगले लोकसभा चुनाव के लिए फॉर्मूला क्या होगा? इस सवाल पर समाजवादी पार्टी के एक नेता ने बताया कि पिछले चुनाव में जो पार्टी जिस जगह पर दूसरे नंबर पर थी, वहां से उसकी दावेदारी मजबूत होगी.
लखनऊ: 2019 लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) से गठबंधन कर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) अध्यक्ष मायावती ने आज पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई है. इस बैठक में लोकसभा चुनाव में कितनी सीटों पर लड़ा जाए और बीजेपी को कैसे मात दी जाए, इस पर चर्चा की संभावना है.
बैठक में राजस्थान और मध्य प्रदेश के पार्टी प्रभारी भी मौजूद रहेंगे. बीएसपी के एक बड़े नेता की मानें तो इन दोनों राज्यों में कांग्रेस के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़े तो कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए. हाल में ही एमपी का चित्रकूट विधानसभा उपचुनाव कांग्रेस ने जीत लिया था. कांग्रेस के आग्रह पर बीएसपी चुनाव नहीं लड़ी थी. एमपी में बीएसपी के अब भी चार एमएलए हैं. मध्य प्रदेश और राजस्थान में इसी साल के आखिरी में वोट डाले जाएंगे.
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कांग्रेस के प्रति नरम हैं मायावती राज्यसभा चुनाव में हार के बाद मायावती ने शनिवार को कहा था कि चुनाव परिणाम का समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. 2019 के आम चुनाव में बीजेपी को इसका (राज्यसभा चुनाव) परिणाम भुगतना होगा.
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ''राज्यसभा चुनाव से बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के रिश्तो में कोई अंतर नही आयेगा, बल्कि दोनों पार्टियों के लोग मिलकर आने वाले चुनाव में पूरी ताकत झोंक देंगे. कांग्रेस पुरानी सहयोगी है.''
मायावती ने साथ ही 23 साल पुराने गेस्ट हाऊस काण्ड को भूलकर गठबंधन का रास्ता साफ किया था. उन्होंने कहा था कि इसके लिए अखिलेश यादव जिम्मेदार नहीं हैं.
क्या है सीटों का फॉर्मूला? यूपी की दो प्रमुख पार्टी एसपी और बीएसपी के गठबंधन का अगले लोकसभा चुनाव के लिए फॉर्मूला क्या होगा? समाजवादी पार्टी के एक नेता ने बताया कि पिछले चुनाव में जो पार्टी जिस जगह पर दूसरे नंबर पर थी, वहां से उसकी दावेदारी मजबूत होगी. आपको बता दें कि 2014 में हुए चुनाव में बीएसपी 34 जगहों पर रनर अप थी. पार्टी को 20 फ़ीसदी वोट मिले थे. पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी 30 लोकसभा सीटों पर दूसरे नंबर पर थी. चुनौती तो अजीत सिंह की पार्टी आरएलडी को भी साथ रखने की है.
क्या कहता है जातिगत समीकरण?
फूलपुर और गोरखपुर में बीजेपी को हराने के बाद मायावती और अखिलेश यादव साल 2019 के लोकसभा चुनाव में यही करिश्मा दोहराना चाहते हैं. आंकड़ों के हिसाब से देखें तो अगर मायावती-अखिलेश 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ते तो एसपी-बीएसपी गठबंधन को करीब 41 सीटों पर जीत मिल सकती थी. और बीजेपी 37 सीटों पर जीत पाती.
समाजवादी पार्टी और बीएसपी का आधार दलित, मुस्लिम और यादव वोट हैं. अगर 2019 में मायावती-अखिलेश ने इन जातियों की गोलबंदी कर ली तो जीत मुश्किल नहीं है. यूपी में में 20.5 प्रतिशत दलित, 19.5 प्रतिशत मुस्लिम और 9 प्रतिशत यादव हैं. इन तीनों को मिलाकर 49 फीसदी है.
यूपी में लोक सभा की 80 सीटें हैं. बीजेपी को 71 सीटों पर जीत मिली थी जबकि 2 लोक सभा सीटें सहयोगी पार्टी अपना दल के खाते में गयी थीं. मुलायम सिंह और डिम्पल यादव समेत समाजवादी पार्टी के 5 सांसद चुने गए थे. बीएसपी अपना खाता तक नहीं खोल पाई थी. कांग्रेस से सोनिया गांधी रायबरेली से और राहुल गांधी चुनाव जीते थे. वैसे मायावती ने अब तक लोकसभा चुनाव के लिए किसी पार्टी से कभी कोई गठबंधन नहीं किया है. 1993 में बीएसपी ने समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था जबकि एक बार कांग्रेस का साथ लिया था.
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