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मिशन 2019 में जुटी मायावती ने BSP में किये बड़े बदलाव, संगठन को किया 'परिवार' से मुक्त
मायावती ने आरएस कुशवाह को यूपी में बीएसपी का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. अब तक रामअवतार राजभर ये काम देख रहे थे. उन्हें अब पार्टी का महामंत्री बना कर मध्य प्रदेश का प्रभारी बना दिया गया है.
लखनऊ: मायावती ने लोकसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) में बड़े फेरबदल किए हैं. पहली बार पार्टी में राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर बनाए गए हैं. वो भी एक नहीं बल्कि दो-दो. नोएडा के रहने वाले जयप्रकाश सिंह और सांसद वीर सिंह को बहनजी ने नई ज़िम्मेदारी दी है. जयप्रकाश अब बीएसपी के उपाध्यक्ष भी बन गए हैं. इससे पहले मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार बीएसपी के उपाध्यक्ष थे. लेकिन अपनी ख़राब सेहत का हवाला देते हुए उन्होंने ये ज़िम्मेदारी छोड़ दी है. जयप्रकाश को उपाध्यक्ष बनाए जाने से बीएसपी के नेता हैरान हैं. वे न तो कभी एमपी रहे न ही एमएलए. लेकिन पहली ही बार में मायावती ने उन्हें उपाध्यक्ष के साथ साथ पार्टी की कोऑर्डिनेटर भी बना दिया है. दूसरे कोऑर्डिनेटर वीर सिंह राज्य सभा में एमपी हैं और पार्टी के महामंत्री भी हैं.
मायावती ने आरएस कुशवाह को यूपी में बीएसपी का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. अब तक रामअवतार राजभर ये काम देख रहे थे. उन्हें अब पार्टी का महामंत्री बना कर मध्य प्रदेश का प्रभारी बना दिया गया है. इस से पहले बीएसपी सांसद अशोक सिद्धार्थ के पास ये ज़िम्मेदारी थी. लेकिन बहनजी उनसे नाराज़ हैं. क्योंकि भोपाल के जिस होटल में उन्हें पिछले महीने ठहराया गया था. वहां सीढीयां चढ़ने के कारण मायावती का पैर मुड़ गया था. लेकिन अशोक सिद्धार्थ कर्नाटक और तमिलनाडु के प्रभारी बने रहेंगे. लालजी वर्मा को छत्तीसगढ़ में पार्टी का प्रभारी बनाया गया है.
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बीएसपी ने हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल के साथ गठबंधन किया है. जबकि कर्नाटक में वो एचडी कुमारस्वामी की पार्टी जेडीएस के साथ हैं. लोकसभा में खाता न खोल पाने वाली बीएसपी की मायावती अचानक विपक्ष की बड़ी चेहरा बन गई है. कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण में सब उनसे मिलने को बेताब लग रहे थे. सोनिया गांधी से लेकर ममता बनर्जी तक. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ बहिनजी कांग्रेस से चुनावी तालमेल के मूड में नहीं हैं. समाजवादी पार्टी से गठबंधन को लेकर वे किसी जल्दबाज़ी में नहीं हैं. गोरखपुर और फूलपुर में एसपी को समर्थन देने वाली बीएसपी ने कैराना के उपचुनाव से दूरी बनाए रखी. मायावती को आरएलडी के चौधरी अजीत सिंह पर रत्ती भर भरोसा नहीं है. बहिनजी की कोशिश पहले अपनी पार्टी मज़बूत करने की है. और फिर इरादा लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक सीटें जीतने का है.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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