UP Election 2022: मायावती ने अब कांशीराम के फ़ार्मूले पर यूपी चुनाव लड़ने की तैयारी की है. अब तक ब्राह्मण दलित गठजोड़ वाली पॉलिटिक्स कर रहीं मायावती की उम्मीदें बैक्वर्ड कास्ट पर टिक गई है. बीएसपी की रणनीति सुरक्षित सीटों पर जीत दर्ज कर यूपी में सत्ता पाने की है. उन्हें लगता है कि दलित और पिछड़े मिल गए तो उनका हाथी लखनऊ तक पहुंच जाएगा.
यूपी में 86 सुरक्षित सीटें हैं. चुनावी इतिहास गवाह है कि इन सीटों पर जिस पार्टी ने बाज़ी मारी, यूपी में सत्ता उसको ही नसीब हुई है. 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने इन सीटों पर बढ़त ली थी. जबकि 2012 के चुनावों में यही करिश्मा अखिलेश यादव ने किया था. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने आज लखनऊ में पार्टी ऑफिस में पिछड़ी जाति के नेताओं की बैठक बुलाई.
इस मीटिंग में पश्चिमी यूपी के जाट नेताओं को ख़ास तौर से बुलाया गया था. रणनीति ये बनी है कि सुरक्षित सीटों पर दलित, पिछड़ी जातियों और मुस्लिम समाज को जोड़ कर जीत का फ़ार्मूला बन सकता है. बीजेपी और समाजवादी पार्टी की नज़र भी इन्हीं सीटों पर है. अखिलेश यादव ने इसके लिए आरएलडी से लेकर ओम प्रकाश राजभर, महान दल और संजय चौहान की पार्टी से गठबंधन कर लिया है. बीजेपी के पास भी अपना दल और निषाद पार्टी जैसे सहयोगी हैं.
मायावती ने बयान जारी करते हुए कहा कि आज यूपी सहित पूरे देश में अति पिछड़े वर्गों के लोगों को विशेषकर शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों आदि में जो इन्हें आरक्षण संबंधी सुविधा मिली है तो यह सब वास्तव में देश के करोड़ों दलितों, आदिवासियों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के मसीहा व भारतीय संविधान के मूल निर्माता परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर जी की ही देन है. जिनकी कृपा से ही संविधान में अनुच्छेद 340 के तहत् इनको यह सुविधा देने के लिए कमीशन बना है.
इसके अलावा मायावती ने आगे कहा कि ओबीसी समाज की केन्द्र की मोदी सरकार से जो अलग से जातिगत जनगणना कराने की माँग चल रही है, बी.एस.पी उनकी इस मांग से पूरे तौर पर सहमत है. उसे भी अब केन्द्र सरकार द्वारा जातिवादी मानसिकता के तहत नजर अन्दाज किया जा रहा है.
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