Mayawati Birthday: लोकसभा चुनाव में  बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और विपक्षी गठबंधन इंडिया  की सीधी लड़ाई के बीच यूपी की पूर्व सीएम मायावती खासी चर्चा में हैं. बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रिमो मायावती बहुत बड़ी रणनीति पर काम कर रही हैं. 


मायावती को 15 जनवरी को जन्मदिन है. लगभग हर जन्मदिन पर वो मीडिया के सामने आती हैं. इस बार भी ऐसा ही होगा. मायावती एक नई तैयारी के साथ मीडिया के सामने आएंगी.  दरअसल, मायावती 2024 के चुनाव में विरोधियों को चौंकाने की तैयारी कर रही हैं. वो अपने जन्मदिन यानी 15 जनवरी को बीएसपी का 2.0 वर्जन लाएंगी. ये बीएसपी की ऐसी तैयारी है. इससे उसका कैडर भी मजबूत हो और बूथ लेवल तक पार्टी की पकड़ धारदार बनें. मायावती पार्टी की वेबसाइट और एक App लॉन्च करने वाली है


बीएसपी का 2.0 वर्जन कैसा रहने वाला है?
मायावती जिए ऐप को लॉन्च करेंगी उसमें वोटर्स का ज्योग्राफिकल डिविजन होगा. इसके आधार पर  पन्ना प्रमुख तय होंगे. साथ ही हर बूथ पर एक्टिव टीम मौजूद रहेगी. यानी ऐप के जरिए बूथ लेवल से टॉप लेवल की कनेक्टिविटी बेहतर होगी.


हाई कमान को जिस भी इलाके के बारे में जानकारी लेनी होगी वो उस एरिया पर जाकर क्लिक करना होगा. फिर सीधे पन्ना प्रमुख का प्रोफाइल खुल जाएगा... बूथ लेवल को हाई कमान तक जो भी फीड बैक पहुंचाना होगा वो सीधे इसी  ऐप से पहुंच जाएगा.


ऐप में इसके अलावा 'जन संवाद' का भी एक कॉलम होगा. इसके जरिए आम जनता भी पार्टी तक डायरेक्ट फीडबैक पहुंचा सकती है. इसमें पार्टी के महत्वपूर्ण इवेंट्स का ब्योरा, कार्यक्रम के बारे में जानकारी और पार्टी जिन भी महापुरुषों से प्रभावित है, उनके भी विचार होंगे. 


क्या मायने हैं?
ऐसे में जिस मायावती को यूपी की सियासत में कमजोर माना जा रहा था वो नई ताकत के साथ सामने आने की तैयारी कर रही हैं. वह ना सिर्फ सामने आने वाली हैं, बल्कि 2024 के चुनाव में महत्वपूर्ण फैक्टर बनने की भी कोशिश कर रही है.   बीएसपी का 2.0 वर्जन मायावती और उनके उत्तराधिकारी आकाश आनंद की देखरेख में तैयार किया जा रहा है.


कुछ दिन पहले मायावती ने पार्टी के उत्तराधिकारी के तौर पर आकाश आनंद का नाम लिया था. ये हाईटेक बदलाव में आकाश आनंद की भी अहम भूमिका है. साथ ही बीएसपी नए प्रवक्ताओं की भी टीम तैयार कर रही.


बसपा क्यों चुनौती है?
मायावती भले ही यूपी या दूसरे राज्यों में बहुत ज्यादा सीट ना जीत पाएं, लेकिन वोट फीसदी के मामले में वो मजबूत कड़ी नजर आती हैं. साल 2014 में लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने बेशक कोई भी सीट नहीं जीती, लेकिन उसका वोट प्रतिशत 20 फीसदी के पास रहा.


इसी तरह 2017 के विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ते हुए बीएसपी ने भले ही 19 सीट जीती हो, लेकिन उसका वोट प्रतिशत 22 फीसद से ज्यादा रहा. साल  2019 के लोकसभा चुनाव में जब बीएसपी और समाजवादी पार्टी का गठबंधन हुआ था. इसमें बीएसपी ने 10 सीटों पर जीत भी हासिल की और वोट प्रतिशत 19 फीसदी से ऊपर रहा. यहां ये भी ध्यान रखना होगा कि मायावती की पार्टी ने उस समय सिर्फ 38 सीटों पर चुनाव लड़ा था.  इसी तरह जब पिछले साल यूपी में विधानसभा चुनाव हुए तो बीएसपी भले एक ही सीट जीत पाई, लेकिन अकेले लड़ते हुए उसका वोट प्रतिशत 13 फीसदी के आस-पास था. 


यानी कमजोर होने के बावजूद मायावती की बीएसपी मजबूत फैक्टर है. इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. नए लुक में आने के बाद मायावती जितना ज्यादा ग्रोथ करेगी इंडिया गठबंधन को उतना ही बड़ा झटका लगेगा. यह ही वजह है कि कांग्रेस के नेता इमरान प्रतापगढ़ी मायावती को दोबारा विचार करने की सलाह दे रहे हैं. 


सवाल क्या है?
अब अहम सवाल ये है कि मायावती के मन में क्या है? वो 24 के चुनाव में क्या तस्वीर देखना चाहती हैं क्योंकि उन्हें भी पता है कि पार्टी को नया लुक देकर वोट प्रतिशत में इजाफा तो कर सकती हैं, लेकिन बीजेपी को अकेले दम पर हराना अभी के दौर में बीएसपी के लिए बेहद मुश्किल नजर आता है.


ऐसे में अगर मायावती 24 के चुनाव में इंडिया गठबंधन के मंच पर नहीं पहुंचती और इसी तरह तैयारी करती रहती हैं तो यूपी के नतीजे बेहद दिलचस्प आने वाले हैं.


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