नई दिल्ली: एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर आज देशभर में प्रदर्शन हो रहा है. मध्य प्रदेश में चार और राजस्थान में एक व्यक्ति की मौत हुई है. बिहार में एंबुलेंस फंसने से एक बच्चे की मौत हो गई. उत्तर प्रदेश में उपद्रवियों ने कई दुकानों और गाड़ियों को आग लगा दी. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने हिंसा के पीछे अपनी पार्टी का हाथ होने से इनकार किया है. उन्होंने बीजेपी पर जातिवादी होने और दलितों का हक खत्म करने का आरोप लगाया.
मायावती ने कहा, ''हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई कानूनी होनी चाहिए. लेकिन इन उपद्रवियों की आड़ में अपने हक के लिए लड़ाई लड़ रहे दलितों को निशाना ना बनाया जाए. अगर ऐसा किया तो हमारी पार्टी चुप नही बैठेगी.''
बीएसपी सुप्रीमो ने कहा, ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार और बीजेपी के अन्य राज्यों की सरकार के दलित व पिछड़ा वर्ग विरोधी होने के कारण इनके दामन पर घोर जातिवादी होने का धब्बा लगा है. इसके पीछे इनकी कथनी और करनी में अंतर, संकीर्ण जातिवादी सोच और कार्यप्रणाली शामिल है. ये खत्म होने का नाम नहीं ले रही है.''
उन्होंने कहा, ''बीजेपी की इसी सोच का नतीजा है कि इस देश के दलितों को उनका कानूनी और संवैधैनिक हक नहीं मिल पा रहा है. दलितों के प्रति बीजेपी की सरकार का रवैया घोर जातिवादी बना हुआ है. बीजेपी अपनी सरकारी शक्ति और संसाधन का इस्तेमाल करके बढ़ावा दे रही है.''
क्या है पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट के दुरुपयोग पर चिंता जताई थी. सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत की व्यवस्था दी. 7 दिनों के अंदर शुरूआती जांच पूरा करने का आदेश दिया है. दलित एक्ट के तहत गिरफ्तारी के लिए एसएसपी की अनुमति जरूरी कर दी गई. सरकारी अधिकारी की गिरफ्तारी के लिए उच्च अधिकारी की अनुमति जरूरी है. दलित संगठन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश के बाद दलित समुदाय में नाराजगी है.
दलित जनसंख्या के आंकड़े
2011 की जनगणना के मुताबिक देश में कुल 20 करोड़ 13 लाख 78 हजार 86 दलित हैं. देश में 16.63 फीसदी दलित आबादी है. जनसंख्या के हिसाब से उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा दलित आबादी है. 2011 की जनगणना के मुताबिक उत्तर प्रदेश में कुल दलित आबादी 4 करोड़ 13 लाख 57 हजार 608 है. औसत के हिसाब से सबसे ज्यादा दलित पंजाब में हैं. पंजाब की कुल जनसंख्या में 31.94 फीसदी दलित हैं.
क्या कहता है संविधान?
संविधान किसी भी आधार पर भेदभाव की इजाजत नहीं देता है. संविधान के अनुच्छेद 17 में खास तौर से छूआछूत को खत्म किया गया है. 1989 में अनुसूचित जाति और जनजाति कानून भी बनाया गया ताकि जो भेदभाव कर रहे हैं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सके. 2016 में कानून में संशोधन भी किया गया ताकि दलितों के खिलाफ अपराध को लेकर तेजी से कार्रवाई हो.