नई दिल्ली: देश के कई बड़े आंदोलनों का गवाह रहा दिल्ली का रामलीला मैदान अब नए नाम से जाना जा सकता है. उत्तरी दिल्ली नगर निगम जल्द ही रामलीला मैदान का नाम बदलकर अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखने की तैयारी कर रहा है. इस बाबत बीजेपी के 4-5 पार्षदों ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम में एक प्रस्ताव भी पेश कर दिया है. पार्षदों के इस प्रस्ताव पर 30 अगस्त को सदन में चर्चा होगी.


क्या होती है प्रक्रिया?
जानकारों के मुताबिक जब भी किसी जगह का नाम बदलना होता है तो वह प्रस्ताव संबंधित नगर निगम की नेमिंग कमेटी के पास आता है. उत्तरी नगर निगम की नेमिंग कमिटी में 6 सदस्य हैं, मेयर इस का चेयरमैन होता है तो वही नेता प्रतिपक्ष, नेता विपक्ष समेत तीन और सदस्य इसमें होते हैं.


नाम बदलने का प्रस्ताव जब नेमिंग कमेटी के पास आता है तो नेमिंग कमेटी उन लोगों को भी बुलाती है जिन लोगों ने यह प्रस्ताव दिया है. उनसे इसकी वजह पूछी जाती है और चर्चा करने के बाद अगर नेमिंग कमेटी उसको सही पाती है तो फिर कमिश्नर से रिपोर्ट मांगी जाती है. कमिश्नर की रिपोर्ट आने के बाद नेमिंग कमेटी एक बार फिर बैठती है और नाम में बदलाव की इजाजत दे देती है.


क्या कहना है उत्तरी नगर निगम मेयर का?
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर आदेश गुप्ता के मुताबिक "रामलीला मैदान के साथ ही हिंदू राव अस्पताल के नाम बदलने का भी प्रस्ताव आया है. इन दोनों जगहों का ही नाम अटल जी के नाम पर रखने की मांग की गई है और हम उम्मीद कर रहे हैं कि अटल जी के जन्मदिन यानी 25 दिसंबर से पहले यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी"


रामलीला मैदान का इतिहास
दिल्ली का ऐतिहासिक रामलीला मैदान कई आंदोलनों का गवाह रहा है. खास तौर पर जब देश में इमरजेंसी लगी थी तो उस दौरान पहला बड़ा आंदोलन दिल्ली के रामलीला मैदान में ही हुआ था और जब एमरजेंसी हटाने का फैसला हुआ उसके बाद भी उसी रामलीला मैदान में एक बार फिर आंदोलन किया गया था.


उस आंदोलन में जयप्रकाश नारायण समेत तत्कालीन कई बड़े नेता शामिल हुए थे और उनमें अटल बिहारी वाजपेई भी शामिल थे. अटल जी ने अपनी कविताओं के जरिए देश के हालातों पर कटाक्ष करते हुए मौजूदा सरकार पर सवाल खड़े किए थे.