MCD Election 2022: साल 2012 में अपने गठन के बाद आम आदमी पार्टी ने 2013 में दिल्ली का पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई. दिल्ली में हुए बीते तीन विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने अपना दबदबा कायम रखा है. 2013 में 70 में से 28 सीटें जीतकर पार्टी ने इतिहास बनाया, इसके बाद 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में आप को अभूतपूर्व सफलता हासिल हुई. एक तरह से पिछले दो चुनावों में आप ने दिल्ली में क्लीन स्वीप किया है. लेकिन अब आम आदमी पार्टी एमसीडी चुनावों में जीत हासिल करने के लिए दमखम लगा रही है.
AAP ने 2017 में पहली बार एमसीडी चुनाव लड़ा
इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने साल 2017 में पहली बार एमसीडी का चुनाव लड़ा. इस चुनाव में पार्टी को 272 सीटों में से 26.23 फीसदी वोट शेयर के साथ 48 सीटें जीती. 2015 के विधानसभा चुनावों में, 'आप' ने 70 में से 67 सीटों जीत लीं, इस चुनाव में बीजेपी को 3 और कांग्रेस को शून्य सीटे मिलीं. लेकिन, बीजेपी ने 2017 में एमसीडी चुनाव में 181 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार एमसीडी पर कब्जा जमाया.
1998 से दिल्ली की सत्ता से बाहर बीजेपी
हालांकि, बीजेपी 1998 से ही दिल्ली की सत्ता से बाहर है. लेकिन पिछले दो दशकों से एमसीडी पर उसका पूरी तरह दबदबा रहा है. बीजेपी ने एमसीडी पर 2007, 2012 और 2017 में पूर्ण बहुमत से कब्जा जमाया. बीजेपी ने इस बार चौथी जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगा दी है. एक तरह से एमसीडी चुनाव बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है. इसलिए बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, सात मुख्यमंत्री और 40 से अधिक स्टार प्रचारक प्रचार करने उतारे.
प्रतिष्ठा की लड़ाई बना MCD
बीजेपी की तुलना में, एमसीडी चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए कहीं अधिक महत्व रखते हैं. तीन विधानसभा चुनाव में दबदबा बनाने के बावजूद वह पार्टी बीजेपी से एमसीडी की सत्ता नहीं छीन पाई है. लेकिन, इस बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी एमसीडी में बीजेपी की सत्ता विरोधी लहर को भुनाने की कोशिश कर रही है. दरअसल, बीजेपी और 'आप' दोनों राजधानी में चुनाव को प्रतिष्ठा की लड़ाई बना दिया है.
दरअसल, दिल्ली में सरकार और एमसीडी के बीच कई सेवाएं ऐसी हैं जो ओवरलैप करती हैं. इसमें शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं. इसको देखते हुए 'आप' दिल्ली में एमसीडी का चुनाव जीतकर पूर्ण अधिकार जमाना चाहती है. बता दें कि एमसीडी में जीत के बाद भी भूमि, कानून और व्यवस्था और सेवाएं उपराज्यपाल के अधीन ही रहेंगी.
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