(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
दिल्ली: MCD चुनाव में एक 'वोट बैंक' ऐसा, जिस पार्टी को दिया समर्थन उसकी होगी बल्ले-बल्ले
दिल्ली राज्य चुनाव आयोग के मुताबिक राजधानी में 1 करोड़ 46 लाख 73 हजार 847 कुल वोटर हैं. जिसका एक तिहाई हिस्सा पूर्वांचली वोटरों का है. दिल्ली के हर चुनाव में इस वोटर की एक निर्णनायक भूमिका रहती है.
देश की राजधानी दिल्ली में 4 दिसंबर को नगर निगम चुनाव के लिए मतदान होगा. उससे पहले हर एक राजनीतिक पार्टी वोटरों को लुभाने के लगी हुई है. सभी पार्टियों ने चुनाव प्रचार में अपने-अपने दिग्गज उतार दिए हैं जिससे कि दिल्ली के वोटरों को अपने साथ लाने में कोई कसर ना छूट जाए.
दिल्ली राज्य चुनाव आयोग के मुताबिक राजधानी में 1 करोड़ 46 लाख 73 हजार 847 वोटर हैं. जिसमें देश के अलग राज्यों से आए प्रवासी लोगों की भी संख्या काफी है. दिल्ली देश की राजधानी होने के साथ-साथ लोगों को रोजगार के लिए भी एक बड़ा जरिया है.
देश के हर एक कोने से दिल्ली में आकर बसें हैं लोग
दिल्ली में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड़, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, असम, जम्मू-कश्मीर, कोलकाता समेत लगभग पूरे देश से लोग आकर बसे हुए हैं. इसीलिए दिल्ली ही पूरे देश में एक ऐसी जगह है जहां हर जाति और समुदाय के लोग एक साथ मिल जाते हैं.
दिल्ली के लोगों की मिली-जुली सोच होती है. हम किसी एक जाति विशेष या समुदाय को लेकर दिल्ली की कल्पना नहीं कर सकते. लेकिन यदि पिछले सालों की बात करें तो दिल्ली में पूर्वांचली लोगों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई हैं और इन लोगों ने दिल्ली में होने वाले हर चुनाव में एक निर्णनायक भूमिका निभाई है.
दिल्ली में 40 फीसदी से ज्यादा पूर्वांचली वोटर
दिल्ली में पूर्वांचली वोटरों की संख्या 40 लाख से ज्यादा है, जिसमें बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश से आए प्रवासी हैं. जो दिल्ली में बस गए हैं. कुल वोटरों में इस पूर्वांचली तबके का लगभग एक तिहाई हिस्सा है. यही कारण है कि दिल्ली की तीनों प्रमुख पार्टियां इस तबके को अपने पाले में लाने में लगी हैं. आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और बीजेपी तीनों ही पार्टियों ने निगम चुनाव के चुनाव में पूर्वाचल के लोगों को टिकट दिया है.
एमसीडी चुनाव में बीजेपी ने झोंकी पूरी ताकत
एबीपी न्यूज से बातचीत में दिल्ली बीजेपी पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष कौशल मिश्रा का कहना है कि पार्टी ने निगम चुनाव में लगभग 50 पूर्वांचली उम्मीदवारों को उतारा है. पूर्वांचलियों का बीजेपी को पूरा समर्थन है. दिल्ली का पूर्वांचली वोटर बीजेपी के साथ खड़ा है. इसके साथ ही बीजेपी ने निगम चुनाव में बीजेपी ने स्टार प्रचारकों में 40 मंत्री और कई बडे राजनेता उतारे हैं.
बता दें बीजेपी शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री भी दिल्ली का गढ़ के जीतने के लिए लोगों के घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं. पिछले दिनों बीजेपी ने दिल्ली की 14 जगहों पर रोड शो किए, जिसमें बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर राजनाथ सिंह, असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा, यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, बीजेपी सांसद दिनेश लाल यादव (निरहुआ) ने दिल्ली के अगल इलाकों में रोड शो किया. बीजेपी के प्रचारक उन इलाकों में जनता के बीच पहुंचे जहां पूर्वांचली वोटरों की संख्या अच्छी खासी है.
इसमें केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नजफगढ़ में, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दक्षिणी दिल्ली के कई इलाकों में रोड शो किया. जहां पूर्वाचली वोटरों की संख्या अच्छी खासी है. इसके साथ ही सांसद दिनेश लाल निरहुआ जिन्होंने पश्चिमी दिल्ली, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत महरौली, असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिसवा सरमा ने उत्तर पूर्वी दिल्ली, यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने सांसद मनोज तिवारी के साथ दिल्ली के शाहदरा में रोड शो किया.
इन इलाकों में पूर्वांचली वोटरों का दबदबा
दिल्ली के लगभग सभी इलाकों में पूर्वांचली प्रवासी लोगों की संख्या हैं. लेकिन कुछ ऐसे इलाके हैं जहां पर बड़ी संख्या में पूर्वांचली वोटर रहते हैं. इस इलाके में न्यू अशोक नगर, लक्ष्मी नगर, करावल नगर, नांगलोई, किराड़ी, बवाना, संगम विहार, बुराड़ी, किराड़ी, विकासपुरी, उत्तम नगर जैसे इलाके हैं जहां बिहार, झारखंड और पूर्वी यूपी से लोग आकर बसे हुए हैं ये वो लोग हैं जो भोजपुरी भाषा बोलते हैं. लिट्टी चौखा खाते हैं. इन इलाकों में हर साल छठ पूजा की भी खूब धूम देखने को मिलती है. बड़ी संख्या में छठ की पर्व मनाया जाता है. जिसमें अक्सर छठ श्रद्धालुओं की छठ घाटों की उचित व्यवस्था नहीं होने को लेकर शिकायत रहती हैं.
छठ घाटों को पार्टियों ने मेनिफेस्टों में शामिल किया
दिल्ली नगर निगम में पिछले 15 सालों से सत्ता में बैठी बीजेपी ने इस निगम चुनाव में अपने घोषणा पत्र में छठ का पर्व मनाने वाले श्रद्धालुओं के लिए 1000 स्थायी छठ घाट बनवाने का वादा किया है. बीजेपी का कहना है कि दिल्ली नगर निगम में यदि बीजेपी फिर से जीतकर आती है तो निगम के पार्कों में छठ घाट बनाए जाएंगे.
इसके साथ दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार का कहना है कि कांग्रेस यदि सत्ता में आती है तो यमुना के किनारे छठ घाटों को दोबारा से जीवित करेगी, उनका जीर्णोद्धार करेंगे, जो अभी बंद कर दिए गए हैं.
लेकिन इस बीच कांग्रेस पार्टी का इस चुनाव में बड़ा झटका भी लगा है, क्योंकि शीला दीक्षित के बाद कांग्रेस में बड़े पूर्वांचली चेहरे महाबल मिश्रा ने पार्टी का दामन छोड़कर आम आदमी पार्टी का हाथ थाम लिया है.
महाबल मिश्रा के जाने से कितना नुकसान?
शीला दीक्षित जो मूल रूप से पंजाबी थी लेकिन उनका ससुराल उन्नाव में था. इसीलिए वो खुद को पूर्वांचली मानती थी. लेकिन इसी महीने महाबल मिश्रा कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए, हालांकि उनके बेटे विनय कुमार मिश्रा पहले से ही आम आदमी पार्टी में थे.
महाबल मिश्रा के कांग्रेस छोड़ आम आदमी पार्टी में जाने से कांग्रेस को नुकसान हो सकता है. हालांकि कांग्रेस का ये कहना है कि अभी इनके पास कीर्ति आजाद जैसे कई बड़े पूर्वांचली नेता हैं.
साल 2013 में दिल्ली की राजनीति में आम आदमी पार्टी का उदय हुआ. तब साल 2012 में अन्ना अंदोलन के दौरान पार्टी को पूर्वांचली लोगों का साथ मिला. पूर्वांचली वोटरोंं का एक बड़ा तबका जो कांग्रेस के साथ था वो उस दौरान आम आदमी पार्टी के साथ आ गया.
जिसके बाद दिल्ली के विधानसभा चुनावों से लेकर इस बार के निगम चुनावों में आम आदमी पार्टी ने पूर्वांचली उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा है.
आम आदमी पार्टी ने 58 पूर्वांचली उम्मीदवारों पर चला है दांव
आप के एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक का कहना है कि पार्टी ने 58 पूर्वांचली उम्मीदवारों को टिकट दिया है. उनका कहना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार पहली ऐसी सरकार है जो छठ पूजा के दौरान 1200 छठ घाट बनाती है, जिससे श्रद्धालु अच्छे से पूजा-अर्चना कर सकें, उन्हें कोई दिक्कत ना हो.
आम आदमी पार्टी में विधायक दिलीप पांडे, राज्यसभा सांसद संजय सिंह और मंत्री गोपाल राय तीन बड़े चेहरे हैं, जो पूर्वांचल से आते हैं और तीनों की नेताओं की पूर्वांचल में अच्छी पकड़ है. इसके साथ ही दिल्ली में पूर्वांचल के अधिकत्तर लोग झुग्गी-बस्ती और कच्ची कॉलोनियों में रहते हैं जहां बिजली, पानी, पक्की सड़के, साफ-सफाई, स्वास्थ्य,स्कूल आदि की बड़ी समस्याएं रहती हैं. जिसको लेकर आम आदमी पार्टी ने इन लोगों को लुभाने के लिए इन इलाकों में काम करने का दावा किया है.
कच्ची कॉलोनियों में सबसे ज्यादा पूर्वांचली
कच्ची कॉलोनियों में रहने वाले पूर्वांचली लोगों का कहना है कि पहले बिजली का बिल काफी ज्यादा आता था, लेकिन पिछले कुछ सालों से बिजली और पानी का बिल नहीं आ रहा है. वहीं अलग-अलग इलाकों में खुले मोहल्ला क्लीनिक भी पूर्वांचली लोगों को आम आदमी पार्टी की तरफ होने वाले झुकाव का दिखाते हैं,.
एक वरिष्ठ पत्रकार के मुताबिक दिल्ली का पूर्वांचली वोटर बेहद की समझदार है वो जाति के आधार पर वोट नहीं देता बल्कि काम के आधार वोट देता है. दिल्ली में जातिवाद के आधार पर अधिक वोट नहीं पड़ता यही कारण है कि दिल्ली की सत्ता पर बीजेपी का ज्यादा दबदबा नहीं रहा.
हालांकि निगम में पिछले 15 सालों से बीजेपी है जिसके खिलाफ एंटी इनकंबेंसी भी इस बार दिल्ली नगर निगम चुनाव में देखने को मिल सकता है. बावजूद इसके बीजेपी और आम आदमी पार्टी को कड़ी टक्कर दे रही है. इस चुनाव में सीधा मुकाबला दोनों की पार्टियों के बीच देखने को मिल रहा है.