MCD चुनाव: BJP के इस चाणक्य ने रचा चक्रव्यूह और तीनों निगमों में फिर खिल गया 'कमल'
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा और मनोज तिवारी की मेहनत के अलावा पर्दे के पीछे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति रही जिसने दो साल के भीतर केजरीवाल की लहर को हवा में उड़ा दिया. बीजेपी के साहसिक फैसलों ने ऐसी व्यूह रचना की कि तीनों निगम में फिर से कमल खिल गया.
नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, मनोज तिवारी और खुद अरविंद केजरीवाल. इन्हीं चेहरों में दिल्ली के छोटे चुनावों का बड़ा नतीजा छिपा है. लेकिन सवाल ये है कि इस बड़ी जीत को अंजाम कैसे दिया गया ?
संगठन में बदलाव
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने 10 साल से जमे दिल्ली बीजेपी के संगठन मंत्री को हटा कर दक्षिण भारत के सिद्धर्तन को दिल्ली का संगठन मंत्री बनाया. एमसीडी चुनाव में बीजेपी को मिली बंपर जीत की शुरुआत यहीं से हुई. इसके बाद पूर्वांचल के चेहरे मनोज तिवारी को दिल्ली का अध्यक्ष बनाया और मनोज तिवारी ने नई टीम बनाई जिसमें युवाओं को तरजीह दी.
सभी वर्तमान पार्षदों के टिकट काटे
भारतीय जनता पार्टी दस सालों से एमसीडी पर काबिज थी. पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप थे. काम अधूरे होने के चलते जनता की नाराजगी थी. इन सबको पार कर दिल्ली में नगर निगम का चुनाव जीतना बीजेपी के लिए काफी मुश्किल था. ऐसे में अमित शाह ने बड़ा फैसला किया और सभी मौजूदा पार्षदों के टिकट काट दिए. इस फैसले को मोदी-शाह की जोड़ी गुजरात में कई बार सफलता पूर्वक लागू कर चुकी है. सिद्धर्तन ने युवा और जुझारू चेहरों को एक सूची अमित शाह को पहले ही सौप दी थी और इन्हीं में से नाम पर मुहर लगी.पंच परमेश्वर का मैनेजमेंट
इसके बाद शुरू संगठन मंत्री सिद्धर्तन का माइक्रो मैनेजमेंट हुआ. हर बूथ पर पांच कार्यकर्ताओं की टीम वो तैयार कर चुके थे. इनको पञ्च परमेश्वर नाम दिया गया. इन पञ्च परमेश्वरों ने ज़मीन पर 25 मार्च से 5 अप्रैल तक बीजेपी सरकार और एमसीडी के काम को लेकर पॉजिटिव कैंपेन चलाया. इसकी रोज़ रिपोर्ट तैयार होती और रोज़ रात को समीक्षा भी होती. इतना ही नहीं ज़रुरत होने पर इसमें बदलाव भी किये जाते. बीजेपी के लिए कमज़ोर इलाको को बी, सी और डी श्रेणी में बांटकर सामाजिक समीकरणों के हिसाब से नेताओं को प्रचार के लिए भेजा गया ताकि खास जाति, क्षेत्र और सम्प्रदाय के लोगों को बीजेपी की ओर मोड़ा जाए. खास बात ये रही कि डेरों, आश्रमो और अखाड़ों के प्रमुखों का भी चुपचाप प्रचार में प्रयोग किया गया.बीजेपी ने आगे किया मोदी का चेहरा
ये पोस्टर केजरीवाल ने चुनाव से पहले लगवाए थे. जिसमें एक तरफ खुद केजरीवाल और दूसरी तरफ बीजेपी विधायक बिजेंद्र गुप्ता थे. पूछा था, लोग किसे चुनेंगे ? विधानसभा चुनाव में तो केजरीवाल का ये दांव सटीक बैठा था लेकिन इस बार बीजेपी ने बिजेंद्र की जगह मोदी की हर जगह तस्वीर लगा दी और चुनाव केजरीवाल बनाम मोदी हो गया.सकारात्मक प्रचार
एमसीडी चुनाव में केजरीवाल जहां बिजली-पानी महंगा होने का डर दिखा रहे थे तो वहीं बीजेपी ने होर्डिंग लगाकर "केजरीवाल जवाब दो धमकी नहीं" कैंपेन चलाया. कम समय में बड़ी बात कहने वाले कार्टून के ज़रिए केजरीवाल पर निशाना साधा गया.
मोदी के सपनों की दिल्ली कैंपेन
आखिर में बीजेपी ने "मोदी के सपनो की दिल्ली कैम्पैन लॉन्च किया. तब तक उत्तर प्रदेश के नतीजों ने दिल्ली की हवा भी बदल दी थी और बीजेपी ने इसका भरपूर इस्तेमाल किया. बड़े नेताओं को दिल्ली में प्रचार से दूर रखा गया. मनोज तिवारी ने सभी सीटों पर प्रचार किया. बीजेपी सूत्रों का कहना है कि मनोज तिवारी की वजह से 6 से 7% पूर्वांचल वोट बीजेपी की तरफ सीधे झुक गया.