MCD Mayor Elections 2023: दिल्ली नगर निगम मेयर पद चुनाव मामले में आम आदमी पार्टी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि मनोनीत सदस्य मेयर पद के चुनाव में वोट नहीं दे सकेंगे. आम आदमी पार्टी लगातार 10 मनोनीत सदस्यों की तरफ से मतदान का विरोध कर रही थी. इसी वजह से अभी तक मेयर पद का चुनाव नहीं हो पाया था.


'पहले मेयर पद का चुनाव होना चाहिए'


आम आदमी पार्टी और उसकी मेयर पद प्रत्याशी शैली ओबरॉय की तरफ से दाखिल याचिका में दूसरी आपत्ति इस बात पर उठाई गई थी कि चुनाव के लिए जारी अधिसूचना में मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमिटी के सदस्यों का चुनाव एक साथ कराने की बात कही गई है. याचिका में कहा गया था कि पहले मेयर पद का चुनाव होना चाहिए और उसके बाद मेयर की अध्यक्षता में ही डिप्टी मेयर और बाकी पदों के चुनाव होने चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने इसे भी स्वीकार कर लिया है.


याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दिसंबर में नगर निगम चुनाव के नतीजे आए. इसके 2 महीने के बाद भी सभी प्रमुख पद खाली पड़े हैं. इसलिए, कल ही चुनाव आयोजित कराए जाएं. लेकिन एमसीडी की तरफ से यह बताया गया कि नियमों के मुताबिक चुनाव के 72 घंटे पहले नोटिस जारी करना होता है. इसलिए कल चुनाव नहीं हो सकता. इस पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने आदेश दिया कि 24 घंटे के भीतर चुनाव के लिए नोटिस जारी किया जाए.


'मनोनीत सदस्य निगम की बैठकों में वोट नहीं दे सकते'


आम आदमी पार्टी की तरफ से दलील दी गई थी कि संविधान के अनुच्छेद 243 R और दिल्ली म्युनिसिपल कारपोरेशन एक्ट 1957 के तहत मनोनीत सदस्यों को निगम की बैठकों में मतदान का अधिकार नहीं है. इसके जवाब में एमसीडी के लिए पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन और एलजी कार्यालय के लिए पेश सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि मनोनीत सदस्य निगम की नियमित बैठकों में मतदान नहीं कर सकते.


लेकिन मेयर चुनने के लिए होने वाली पहली बैठक में उनके मतदान करने पर कोई रोक नहीं है. पर सुप्रीम कोर्ट इस दलील से आश्वस्त नहीं हुआ. कोर्ट ने कहा, "जब नियमों में यह लिखा गया है कि मनोनीत सदस्य निगम की बैठकों में वोट नहीं दे सकते, तो यह व्यवस्था पहली बैठक के लिए भी लागू होती है."


ये भी पढ़ेंः  MCD Mayor Election 2023: एमसीडी चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट से AAP को राहत, दोनों प्रमुख मांग मानी गई