एमसीडी चुनाव का रिजल्ट आ गया है और करिश्माई प्रदर्शन के साथ आम आदमी पार्टी ने यहां पर भी अपनी बादशाहत हासिल कर ली है. एमसीडी के तहत दिल्ली का करीब 1397 वर्ग किमी का इलाका आता है, जिसमें करीब-करीब 1 करोड़ 45 लाख लोग रहते हैं. वहीं एमसीडी यानी कि म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन ऑफ दिल्ली का कुल बजट 15 हजार करोड़ से ज्यादा का है. लेकिन क्या आपको पता है कि ये एमसीडी पालतू कुत्तों पर भी टैक्स लगाकर पैसे कमाती है. आईये जानते हैं कि एमसीडी पालतू कुत्तों पर टैक्स लगाकर कितना कमाती है. 


एमसीडी का साल 2022-23 का बजट डॉक्यूमेंट कहता है कि हर साल पालतू कुत्तों से एमसीडी की कुल कमाई करीब 9 लाख 30 हजार रुपये की होती है. इस कमाई के लिए एक कानून है और वो है  दिल्ली म्युनिसिपल एक्ट, 1957. साल 2016 में, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) ने पालतू जानवरों की ऑनलाइन रजिस्ट्री की प्रक्रिया प्रोसेस शुरू की थी और 500 रुपये का पंजीकरण शुल्क रखा था. जबकि उत्तर और पूर्व में मैन्युअल प्रोसेस था. 


रजिस्ट्री नहीं कराने पर जुर्माना


हालांकि कुत्तों की संख्या काफी ज्यादा होने के बावजूद एक साल में करीब एक हजार लोग ही एमसीडी में पंजीकरण कराने के लिए आगे आए. जिसके बाद रजिस्ट्री नहीं कराने वाले लोगों पर उन लोगों पर जुर्माना लगाया जाने लगा.


डीएमसी अधिनियम की धारा 399 के तहत सभी पालतू जानवरों के मालिक के लिए अपने पालतू का एमसीडी में पंजीकरण कराना अनिवार्य है. डाटा से पता चलता है कि 14 जुलाई, 2022 तक केवल 397 कुत्तों को ही एमसीडी के साथ पंजीकृत किया गया है.


उनमें से ज्यादातर पंजीकरण जो कि 263 है, जो साउथ दिल्ली से किए गए हैं. दूसरे स्थान पर नॉर्थ दिल्ली से 93 कुत्ते पंजीकृत किए गए हैं और 41 पूर्वी दिल्ली से. इन सब से एमसीडी ने इस साल यानी 2022 में पंजीकरण शुल्क के नाम पर 1,57,000 जमा किए हैं, लेकिन ये आंकड़े कुछ भी नहीं हैं. पिछले साल यानी 2021-22 में 761 पालतू कुत्तों का पंजीकरण किया गया था. जिनमें से 263 कुत्ते साउथ दिल्ली से थे. 255 नार और 243 कुत्ते पूर्वी दिल्ली में पंजीकृत किए गए थे.


पंजीकरण के लिए कितने पैसे देने होते हैं?


एमसीडी साल भर के पंजीकरण के नाम पर कुत्ते पालने वालों से ₹500 रुपये शुल्क लेती है और ये पंजीकरण एक साल के लिए वैलिड होता है. इसके अलावा दक्षिण नागरिक निकाय भी पंजीकरण के लिए ₹500 रुपये लेती है. वहीं नॉर्थ एमसीडी केवल 50 रुपये लेती है और अगल किसी का कुत्ता रजिस्टर नहीं है तो भारतीय दंड संहिता धारा 289 के तहत उसके ऊपर फाइन भी लग सकता है.


खास बात ये है कि सिर्फ कुत्तों पर ही एमसीडी टैक्स नहीं लेते.  बल्कि अन्य पालतू जानवर पर भी टैक्स वसूलता है और एमसीडी के बजट में अच्छा खासा शेयर इनसे मिले टैक्स से बनता है. MCD साल में दुधारू पशुओं पर लगने वाले मिल्च टैक्स के नाम पर करीब-करीब 22 लाख रुपये कमाती है और डॉग टैक्स से 9.30 लाख कमाती है.