एमसीडी चुनाव : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर बरकरार, तीसरी बार फिर खिला कमल
नई दिल्ली : एमसीडी चुनाव में बीजेपी ने शानदार जीत हासिल की है. बीजेपी ने ना सिर्फ केजरीवाल बल्कि कांग्रेस को भी रौंद डाला. पांच राज्यों के नतीजों के बाद अब एमसीडी के नतीजों ने भी साफ कर दिया कि देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर बरकरार है. दिल्ली भी इस लहर में शामिल हो गई है.
जनता ने बीजेपी को जश्न मनाने का एक बार फिर बड़ा मौका दिया है
दिल्ली की जनता ने बीजेपी को जश्न मनाने का एक बार फिर बड़ा मौका दिया है. MCD चुनाव में तीसरी बार फिर कमल खिला है. दिल्ली की तीनों एमसीडी में बीजेपी ने 270 में से 181 सीटों पर जीत हासिल की है. जबकि, आप 48 औऱ कांग्रेस 30 सीटों पर सिमट गई है. अन्य को 11 सीटें मिली हैं.
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पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इसे देश में मोदी लहर का नतीजा बता रहा है
बीजेपी का आम कार्यकर्ता से लेकर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इसे देश में मोदी लहर का नतीजा बता रहा है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि देशभर में मोदी जी के नेतृत्व की स्वीकृति और बढ़ी है. जबकि दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि सत्य है कि ये नरेंद्र मोदी जी की तीन साल के जो कार्य हैं उसकी जीत है.
विधानसभा चुनाव में आप के हाथों मिली बुरी हार का बदला ले लिया
इस बड़ी जीत के साथ ही बीजेपी ने 2015 के विधानसभा चुनाव में आप के हाथों मिली बुरी हार का बदला ले लिया है. जिस दिल्ली की जनता ने दो साल पहले 70 विधानसभा सीटों में से 67 पर आम आदमी पार्टी को जिताया, उसी दिल्ली की जनता ने एमसीडी की 270 सीटों में से बीजेपी को छप्पर फाड़ के जनमत दिया है.
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चुनाव में मिली इस प्रचंड जीत ने बीजेपी का आगे का रास्ता और आसान कर दिया
MCD चुनाव में मिली इस प्रचंड जीत ने बीजेपी का आगे का रास्ता और आसान कर दिया है. मोदी लहर फिलहाल कितनी मजबूत है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि एमसीडी चुनाव में ना तो नरेंद्र मोदी और ना ही अमित शाह ने ही प्रचार किया, सिर्फ मोदी के पोस्टर लगे और नतीजा आपके सामने है.
सबसे बड़ा झटका केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी को लगा
MCD चुनाव के नतीजों के बाद सबसे बड़ा झटका केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी को लगा है. आप को ढाई साल पहले विधानसभा की 70 में से 67 सीटें मिली थीं लेकिन एमसीडी की 270 सीटों में उसे सिर्फ 48 ही हासिल हुईं. अब सवाल ये है कि केजरीवाल का आगे क्या होगा. केजरीवाल के खिलाफ उनकी पार्टी के अंदर से भी आवाजें उठने लगी हैं.