नई दिल्ली : देश की राजधानी में स्थानीय निकाय (एमसीडी) के चुनाव की तारीख के ऐलान हो चुका है. 22 अप्रैल को मतदान होना और 25 अप्रैल को नतीजे सामने आ जाएंगे. इस बीच पूर्वी दिल्ली निगम के सफाईकर्मी फिर से हड़ताल पर जाने का फैसला कर रहे हैं. उनका आरोप है कि उन्हें पिछले दो माह से वेतन नहीं मिला है.


पिछले कई महीनों से निगमकर्मियों को लगातार यह शिकायत रही है कि उन्हें वेतन समय पर नहीं मिल रहा है. इससे सबसे ज़्यादा प्रभावित पूर्वी दिल्ली नगर निगम है. इस बीच हर महीने धरने प्रदर्शन करके सफाईकर्मी थक गए हैं. एक कर्मचारी प्रदीप कहते हैं कि उन्होंने पत्नी की बीमारी का इलाज कर्ज़ लेकर करवाया था.


उनके अनुसार अगर मेडिकल कैशलेस कार्ड होता तो शायद वह अपनी बीवी को बचा सकता था. उसके अनुसार निगम से बिल का भुगतान करवाने में वे परेशान हो जाते हैं. प्रदीप एमसीडी और केजरीवाल सरकार की खींचतान को इसका ज़िम्मेदार मानते हैं. प्रदीप की बेटी नेहा कहती है घर में राशन नहीं आ पाता और ऊपर से कर्ज़े वाले घर के बाहर आ जाते हैं.


यही हाल त्रिलोकपुरी में रहने वाले दिवंगत एससीडी कर्मी सुनील के परिवार का है. परिवार चलाने की ज़िम्मेदारी सुनील के बड़े बेटे कुलदीप के कंधों पर है जो अपने पिता की जगह एमसीडी में अस्थायी रूप से बतौर सफाईकर्मी काम करते हैं. सुनील ने पिछले साल जनवरी में इसलिये आत्महत्या कर ली थी क्योंकि वो बेटी की शादी का क़र्ज़ नहीं उतार पा रहे थे. साथ ही दूसरी बेटी की शादी की तारीख तय हो गयी थी लेकिन सैलरी नहीं मिल पा रही थी.


सुनील की पत्नी मुनेश कहती हैं लड़की की शादी की तारीख तय कर दी थी लेकिन पैसा नहीं मिला. कुल मिलाकर 9 लाख का कर्जा था लेकिन दूसरी बेटी की शादी के वक़्त क़र्ज़ नहीं मिला. मुनेश आँखों में आंसू लिए कहती हैं कि पति के जाने के बाद परेशानी हो रही है, लड़के को टीबी हो गयी है. सुनील की बेटी मोनिका कहती हैं बहुत प्रॉब्लम सामना करना पड़ रहा है.


सफाई यूनियन के संजय गहलोत कहते हैं हमारे यहां पेट की लड़ाई है. उनके अनुसार वेतन नहीं मिलना, साथियों को परमानेंट नहीं किया जा रहा, एरियर नहीं मिल पाता, मेडिकल कैशलेस जैसे मुद्दे हैं. उनके अनुसार सडकों पर उतरकर ही सैलरी मिल पाती है. वे 71 दिन से धरने पर बैठे हैं. उनके अनुसार वे 6 बार हड़ताल कर चुके हैं और दिल्ली सरकार इसकी ज़िम्मेदार है.


उनका कहना है कि वे दिल्ली सरकार और एमसीडी की खींचतान में पिस रहे हैं. संजय मानते है कि इसका नुकसान आम आदमी पार्टी को होगा. पूर्वी दिल्ली नगर निगम के स्टैंडिंग कमिटी चेयरमैन जीतू चौधरी कहते हैं जब तक चौथा वित्त आयोग लागू नहीं होगा तबतक यह समस्या नहीं सुलझेगी. जीतू आगे कहते हैं कि 'हमारे 130 करोड़ महीने का ख़र्चा और कमाई महज़ 30 करोड़ है.'


दरअसल अभी नगर निगमो को पैसा तीसरे वित्त आयोग के हिसाब से दिया जाता है. जबकि चौथा वित्त आयोग 2013 में आ जाना चाहिए था. दिल्ली सरकार ने इसे टेबल कर दिया है लेकिन लागू नहीं कर पाई है. एससीडी कहती है कि चौथे वित्त आयोग से उसे अगर पैसा मिलता है तो सभी देनदारी दे दी जाएँगी और निगम आसानी से चलता रहेगा. बीजेपी शासित एससीडी और केजरीवाल सरकार के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर चलता रहा है इस सबके बीच सुनील और प्रदीप जैसे सफाईकर्मी पिसते रहे हैं.