गुजरात दंगों पर BBC की डॉक्यूमेंट्री प्रोपगेंडा, औपनिवेशिक मानसिकता दिखाता है- विदेश मंत्रालय
Gujarat Riots 2002: विदेश मंत्रालय ने गुजरात दंगों पर BBC की डॉक्यूमेंट्री को लकेर कहा है कि यह भारत के खिलाफ एक खास किस्म का दुष्प्रचार का नैरेटिव चलाने की कोशिश है.
Gujarat Riots 2002: गुजरात दंगों पर BBC की डॉक्यूमेंट्री को लेकर भारत सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी. विदेश मंत्रालय ने गुरुवार (19 जनवरी) को कहा कि भारत में यह डॉक्यूमेंट्री नहीं दिखाई जा सकती है, यह डॉक्यूमेंट्री बीबीसी पर प्रसारित की गई है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम यही कहेंगे कि यह भारत के खिलाफ एक खास किस्म का दुष्प्रचार का नैरेटिव चलाने की कोशिश है. यह डॉक्यूमेंट्री दिकाती है कि इससे जुड़े हुए लोग और संगठन एक खास किस्म की सोच रखते हैं क्योंकि इसमें तथ्य और विषय को लेकर तटस्थता नहीं है. यह एक औपनिवेशिक मानसिकता से संचालित है.
औपनिवेशिक मानसिकता क्यों बताया?
बागची ने कहा, ''ब्रिटेन के राजनयिकों का जांच और पड़ताल जैसे शब्दों का इस्तेमाल बताता है कि एक विशेष मानसिकता है. क्या वो यहां अब भी राज कर रहे हैं? इसीलिए हम कह रहे हैं कि एक औपनिवेशिक मानसिकता के साथ इस डॉक्यूमेंट्री को बनाया गया है.''
'यह पक्षपातपूर्ण है'
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरदिंम बागची ने कहा कि हमें लगता है कि यह एक प्रोपोगेंडा पीस है. इसकी कोई ओबेजएक्टिविटी नहीं है, यह पक्षपातपूर्ण है. ध्यान दें कि इसे भारत में प्रदर्शित नहीं किया गया है.
मामला क्या है?
'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नाम की दो पार्ट की बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में पीएम मोदी पर गुजरात दंगो के आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया गया है. साथ ही इस डॉक्यूमेंट्री में नागरिकता कानून (CAA) और जम्मू कश्मरी में 370 हटाने का जिक्र करते हुए सरकार की आलोचना की गई है. इसी को लेकर अब विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
इसी बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने ब्रिटिश संसद में डॉक्यूमेंट्री से खुद को दूर कर लिया है।. उन्होंने कहा कि “इस पर यूके सरकार की स्थिति साफ है जो कि लंबे समय से चली आ रही है और बदली नहीं है.
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