किसान आंदोलन: US के बयान के जवाब में भारत ने कैपिटल हिल हिंसा का किया जिक्र
किसान आंदोलन और कृषि कानूनों पर US के बयान पर भारत ने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय के बयान को पूरे संदर्भ में देखा जाना चाहिए.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है. इस बीच अमेरिका ने कहा है कि हम मानते हैं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन किसी भी सफल लोकतंत्र की पहचान है. साथ ही अमेरिका के विदेश विभाग ने कहा कि अमेरिका उन कदमों का स्वागत करता है जिससे भारत के बाजारों की दक्षता में सुधार होगा और निजी क्षेत्र की कंपनियां निवेश के लिए आकर्षित होंगी.
अमेरिका के बयान पर भारत ने प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमने अमेरिकी विदेश विभाग की टिप्पणियों पर गौर किया है. टिप्पणियां जिस संदर्भ में की गई हैं, उन्हें उस संदर्भ में देखना जरूरी है.
मंत्रालय ने कहा, ''अमेरिकी विदेशी विभाग ने भारत सरकार और किसान संगठनों की तरह से किए जा रहे समाधान के प्रयासों को माना है.''
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदर्शन के दौरान 26 जनवरी को लालकिले पर हुई हिंसा को भारत में वैसी ही नाराज़गी नज़र आई जैसी अमेरिका के केपिटल हिल पर हिंसा के बाद नज़र आई थी.
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक विदेश मंत्रालय ने कहा, ''किसी भी प्रदर्शन को भारत की राजनीतिक व्यवस्था और गतिरोध खत्म करने के लिए सरकार और संबद्ध किसानों के संगठनों के जारी प्रयासों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए.''
उन्होंने कहा कि दिल्ली-एनसीआर के क्षेत्र में इंटरनेट पर कुछ नियंत्रण हिंसा की रोकथाम को ध्यान में रखते हुए लगाया गया है.
बता दें कि किसान आंदोलनों के समर्थन में कई विदेशी हस्तियों ने टिप्पणी की है. भारत सरकार ने इसे साजिश करार दिया है. भारत ने कहा है कि बयान देने से पहले तथ्यों को परखा जाना चाहिए.
दिल्ली की सीमाओं पर किसान पिछले 71 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. यहां सुरक्षा के ख्याल से पुलिस ने किलेबंदी की है. इंटरनेट पर रोक है. प्रशासन के इस कदम की विपक्षी पार्टियां जमकर आलोचना कर रही है.
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