नई दिल्लीः भारत चीन के बीच कल देर रात गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक अधिकारी समेत तीन सैनिक शहीद हो गए और इस स्थिति के बाद भारत-चीन के बीच तनाव बढ़ गया है. अब भारतीय विदेश मंत्रालय की इस पर पहली प्रतिक्रिया आई है और कहा गया है कि जो हुआ उससे बचा जा सकता था.
भारत के विदेश मंत्रालय ने चीन के साथ हुई कल झड़प पर पहला बयान जारी किया है. विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि चीन एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) की स्थिति को बदलना चाहता था और 15 जून की देर शाम और रात को, चीन की तरफ से यथास्थिति बदलने के प्रयास के नतीजे के रूप में एक हिंसक झड़प हुई. इस झड़प में दोनों पक्षों के सैनिक हताहत हुए जिस स्थिति से बचा जा सकता था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि उच्च स्तर पर जो समझौता हुआ था उसे चीनी पक्ष की ओर से तोड़ा गया.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने ये भी कहा है कि पूर्वी लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए भारत और चीन राजनयिक और सैन्य स्तर पर चर्चा कर रहे हैं. 15 जून की देर शाम और रात को यथास्थिति में परिवर्तन करने के चीन की ओर से किए गए एकतरफा प्रयास के चलते हिंसक झड़प हुई.
विदेश मंत्रालय की तरफ से ये भी कहा गया है कि सीमा प्रबंधन के लिए अपने जिम्मेदार दृष्टिकोण को देखते हुए, भारत बहुत स्पष्ट है कि उसकी सभी गतिविधियां हमेशा एलएसी के भारतीय पक्ष की तरफ रहें. हम चीनी पक्ष के भी समान होने की उम्मीद करते हैं.
विदेश मंत्रालय ने चीन को सीधा जवाब दे दिया है कि एम एलएसी का पूरा सम्मान करते हैं और चीन को भी ऐसा ही करना चाहिए. चीन ने एलएसी की स्थिति बदलने की कोशिश की जिसकी वजह से ये झड़प हुई और दोनों देश के सैनिक हताहत हुए.
चीन के विदेश मंत्रालय का क्या था बयान
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि चीन ने भारत के सामने अपना विरोध दर्ज कराया है. हम भारत को प्रासंगिक समझौते का ईमानदारी से पालन करने और अपने सीमावर्ती सैनिकों को सख्ती से रोकने की मांग कर रहे हैं. भारतीय सैनिकों को सीमा पार नहीं करनी चाहिए. हालांकि बाद में चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि भारत और चीन दोनों सीमा विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं.
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