PM Modi-Xi Jinping Meeting: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अनौपचारिक रूप से बीते साल एक दूसरे से 2022 में बाली में मिले थे. मौका था G20 समिट का, इस समिट में ही भारत को साल 2023 के लिए जी20 की अध्यक्षता दी गई थी. अब भारत के विदेश मंत्रालय ने बताया कि इस समिट में मिले दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई थी?


विदेश मंत्रालय ने गुरुवार (28 जुलाई) को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बीते साल बाली में जी20 शिखर सम्मेलन में एक रात्रि भोज के दौरान एक-दूसरे का अभिवादन स्वीकार किया और द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर बनाए रखने की आवश्यकता पर बातचीत की थी.


हाल ही में मिले थे अजित डोभाल-वांग यी
चीन के विदेश मंत्रालय ने जोहानिसबर्ग में दो दिन पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी राजनयिक वांग यी के बीच बैठक के बाद दावा किया था कि शी और मोदी पिछले साल नवंबर में हुए जी20 शिखर सम्मेलन से इतर बातचीत में द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर बनाने पर महत्वपूर्ण आम सहमति पर पहुंचे थे.


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, पिछले साल बाली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति की तरफ से दिए गए डिनर के अंत में एक-दूसरे का अभिवादन स्वीकार किया था और हमारे द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने की आवश्यकता पर बात की थी.


बाली में 2020 के बाद पहली बार मिले थे दोनो नेता
यह मई 2020 में भारत-चीन सीमा पर उत्पन्न गतिरोध के बाद से दोनों नेताओं की पहली बार सार्वजनिक मुलाकात थी. उन्होंने कहा, जैसा कि आप जानते हैं कि हमने दृढ़तापूर्वक कहा है कि पूरे मुद्दे के समाधान की कुंजी भारत-चीन सीमा के पश्चिमी सेक्टर पर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति को हल करना तथा सीमावर्ती इलाकों में शांति बहाल करना है.


डोभाल ने 24 जुलाई को जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक से इतर वांग से मुलाकात की थी. यह पूछे जाने पर कि क्या चीन के राष्ट्रपति दिल्ली में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, इस पर बागची ने कहा कि भारत सभी आमंत्रित नेताओं की भागीदारी के साथ इसकी सफलता के लिए सभी प्रयास और तैयारियां कर रहा है.


रूस को लेकर क्या बोला भारत
अफ्रीकी संघ को जी20 का स्थायी सदस्य बनाने के भारत के प्रस्ताव पर उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि यह होगा. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले पर कुछ भी ठोस कहना जल्दबाजी होगा. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इस प्रस्ताव का कथित तौर पर समर्थन किए जाने संबंधी खबरों के बारे में बागची ने कहा कि उनको इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा, लेकिन अगर रूस ने (प्रस्ताव का) समर्थन किया है, तो यह अच्छा है.


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