S Jaishankar On Terrorism: आतंकवाद को लेकर भारत हमेशा से मुखर रहा है. कई बड़े मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर तक इस मुद्दे को उठाते आए हैं. इसी क्रम में एक बार फिर एस. जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि आतंकवाद के अपराधी, मददगार, फाइनेंसर और स्पॉन्सर्स की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें सजा दी जानी चाहिए.


दरअसल, एससीओ राष्ट्राध्यक्ष परिषद की 24वीं बैठक 4 जुलाई को कजाक राजधानी अस्ताना में कजाकिस्तान की अध्यक्षता में आयोजित की गई. इस शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जयशंकर ने किया. वहीं, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी सम्मेलन में शामिल हुए. हाल में अस्ताना की काजिनफॉर्म समाचार एजेंसी के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि तीन बुराइयों - आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद - के खिलाफ लड़ाई शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में प्राथमिकता है.


आतंकवाद के खिलाफ करनी होगी तत्काल कार्रवाई, बोले जयशंकर


विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि आज दुनिया के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती आतंकवाद है. यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए खतरा बन गया है और इसके लिए हम सभी को तत्काल कार्रवाई करनी होगी.’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए बहुत व्यापक दृष्टिकोण की जरूरत है. न केवल आतंकवाद के जघन्य कृत्यों को अंजाम देने वालों की, बल्कि आतंक को बढ़ावा देने वालों, इसके वित्तपोषकों और प्रायोजकों, इन सभी की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें दंडित किया जाना चाहिए.’’


ड्रग्स स्मगलिंग मुद्दे को लेकर क्या बोले जयशंकर


विदेश मंत्री ने कहा कि उनका ‘दृढ़ विश्वास’ है कि क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी संरचना (आरएटीएस) के माध्यम से एससीओ के पास क्षेत्र में आतंकवाद के खिलाफ उपायों का प्रस्ताव करने के लिए उपयुक्त आधार है. अस्ताना शिखर सम्मेलन में अपनाई गई आतंकवाद और एससीओ मादक पदार्थ रोधी रणनीति से संबंधित दो महत्वपूर्ण पहल के महत्व और संभावित प्रभाव के बारे में जयशंकर ने कहा, ‘‘मादक पदार्थों की तस्करी एक और मुद्दा है जिसका हमें मिलकर मुकाबला करने की जरूरत है और यह क्षेत्र के दो अन्य मुद्दों - आतंकवाद और अफगानिस्तान में स्थिरता - से बहुत निकटता से जुड़ा हुआ है.’’


जयशंकर ने कहा, ‘‘दुशांबे में एक मादक पदार्थ रोधी केंद्र की स्थापना पर आम सहमति बनी है. यह एक स्वागत योग्य कदम है और इसकी बहुत जरूरत है.’’ एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने एक शिखर सम्मेलन में की थी. भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके स्थायी सदस्य बने थे.


ये भी पढ़ें: पाकिस्तानी सेना ने भेजे थे कुपवाड़ा में मारे गए आतंकी! भारतीय सेना का बड़ा दावा, जानें और क्या कहा