S Jaishankar Attack on United Nations: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार (06 अक्टूबर) को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की आलोचना करते हुए कहा कि यह एक पुरानी कंपनी की तरह है, जो पूरी तरह से बाजार के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहा है, बल्कि जगह घेर रहा है. कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया में दो बहुत गंभीर संघर्ष चल रहे हैं.


उन्होंने कहा कि दुनिया में बहुत गंभीर संघर्ष चल रहे हैं, ‘‘ऐसे में संयुक्त राष्ट्र कहां है, अनिवार्य रूप से मूकदर्शक बना हुआ है.’’ जयशंकर ने बदलते वैश्विक परिदृश्य में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में विश्व निकाय के बारे में आलोचनात्मक दृष्टिकोण अपनाया. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 1945 में स्थापित इस विश्व निकाय में शुरुआत में 50 देश थे, जो इन वर्षों में बढ़कर लगभग चार गुना हो गए हैं.


प्रमुख मुद्दों पर नहीं उठाता कदम


उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र एक तरह से वैसी पुरानी कंपनी की तरह है, जो पूरी तरह से बाजार के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रही है, लेकिन जगह (जरूर) घेर रही है. जब यह समय से पीछे होती है, तो इस दुनिया में आपके पास स्टार्ट-अप और नवाचार होते हैं, इसलिए अलग-अलग लोग अपनी तरह से चीजें करना शुरू कर देते हैं.’’


जयशंकर ने कहा, ‘‘आज आपके पास एक संयुक्त राष्ट्र है, लेकिन इसकी कार्यप्रणाली अपर्याप्त है, इसके बावजूद यह अब भी एकमात्र सर्वमान्य बहुपक्षीय मंच है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, जब यह प्रमुख मुद्दों पर कदम नहीं उठाता है, तो देश अपने तरीके से रास्ते तलाश कर लेते हैं. उदाहरण के लिए पिछले पांच-10 वर्षों पर विचार करें, शायद हमारे जीवन में सबसे बड़ी बात कोविड थी. अब, कोविड पर संयुक्त राष्ट्र ने क्या किया? मुझे लगता है कि इसका उत्तर है- बहुत ज्यादा नहीं.’’


‘मूकदर्शक बना हुआ है संयुक्त राष्ट्र’


जयशंकर ने कहा, ‘‘आज विश्व में दो संघर्ष चल रहे हैं, दो बहुत गंभीर संघर्ष, उन पर संयुक्त राष्ट्र कहां है, वह केवल मूकदर्शक बना हुआ है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, जो हो रहा है, जैसा कि कोविड के दौरान भी हुआ, देशों ने अपने-अपने तरीके से काम किया, जैसे कि कोवैक्स जैसी पहल, जो देशों के एक समूह द्वारा की गई थी.’’


जयशंकर ने कहा, ‘‘जब बात बड़े मुद्दों की आती है, तो आपके पास कुछ करने के लिए सहमत होने के लिए एक साथ आने वाले देशों का एक बढ़ता हुआ समूह होता है.’’ विदेश मंत्री ने इस संदर्भ में भारत-मध्यपूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी), वैश्विक साझा हितों की देखभाल के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में क्वाड, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) और आपदा-रोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) जैसी पहलों का उदाहरण दिया.


‘गैर-संयुक्त राष्ट्र इलाकों का हो रहा विकास’


उन्होंने कहा कि ये सभी निकाय संयुक्त राष्ट्र के ढांचे से बाहर हैं. जयशंकर ने कहा, ‘‘आज, संयुक्त राष्ट्र बना हुआ है, लेकिन तेजी से गैर-संयुक्त राष्ट्र क्षेत्र का विस्तार हो रहा है और मुझे लगता है कि इसका असर संयुक्त राष्ट्र पर पड़ रहा है.’’ भारत बदलते समय के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग करता रहा है.


इस साल की शुरुआत में जयशंकर ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों का ‘‘अदूरदर्शी’’ दृष्टिकोण वैश्विक निकाय के लंबे समय से लंबित सुधार की दिशा में आगे बढ़ने में बाधक बना हुआ है. सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका के पास किसी भी महत्वपूर्ण प्रस्ताव को वीटो का अधिकार है.


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