इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने मौत की सजा का सामना कर रहे भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को आज राजनयिक संपर्क मुहैया कराया. इस संपर्क को लेकर विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान ने राजनयिक अधिकारियों को कुलभूषण जाधव से बेरोकटोक और बिना शर्त मुलाकात नहीं करने दी.


मंत्रालय ने कहा कि कुलभूषण जाधव तनाव में दिख रहे थे और उन्होंने राजनयिकों को इसके स्पष्ट संकेत भी दिये. विदेश मंत्रालय ने कुलभूषण जाधव तक राजनयिक पहुंच के बारे में कहा कि मुलाकात के दौरान पाकिस्तानी अधिकारी डराने-धमकाने वाले रवैये के साथ वहां मौजूद थे.


विदेश मंत्रालय ने कहा कि जाधव से खुलकर बातचीत करने का मौका नहीं दिया गया. बयान में कहा गया है कि राजनयिक अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि पाकिस्तान द्वारा कुलभूषण जाधव तक दी गई पहुंच न तो सार्थक थी और न ही विश्वसनीय.


विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान द्वारा जाधव तक निर्बाध पहुंच नहीं दिये जाने पर कहा कि विदेश मंत्री ने इन घटनाक्रमों से कुलभूषण जाधव के परिवार को अवगत कराया है.


कुछ ही दिन पहले, इस्लामाबाद ने दावा किया था कि जाधव ने एक सैन्य अदालत द्वारा उन्हें दोषी करार दिये जाने के खिलाफ यहां एक अदालत में अपील दायर करने से इनकार कर दिया है. पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा कि जाधव को मुहैया कराया गया यह दूसरा राजनयिक संपर्क है. पहला राजनयिक संपर्क दो सितंबर 2019 को मुहैया कराया गया था.


जाधव (50) भारतीय नौसेना के एक सेवानिवृत्त अधिकारी हैं. उन्हें जासूसी एवं आतंकवाद के आरोपों में अप्रैल 2017 में पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी. इसके कुछ ही हफ्तों बाद, भारत ने जाधव को राजनयिक संपर्क मुहैया नहीं किये जाने के खिलाफ और उनकी मौत की सजा को चुनौती देने के लिये हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) का रुख किया.


अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पिछले साल जुलाई में कहा था कि पाकिस्तान को जाधव की दोषसिद्धि और सजा की प्रभावी समीक्षा करनी होगी और पुनर्विचार करना होगा, साथ ही बगैर किसी देर के भारत को राजनयिक स्तर पर उनसे संपर्क करने की भी इजाजत दी जाए.


पाक विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘‘इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के दो अधिकारियों को दोपहर तीन बजे कमांडर जाधव से बेरोक-टोक और निर्बाध संपर्क कराया गया. ’’ बयान में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि जाधव की मां और पत्नी को 25 दिसंबर 2017 में उनसे मिलने की अनुमति दी गई थी.


पाकिस्तान झूठ बोलता आ रहा है कि उसके सुरक्षा कर्मियों ने जाधव को अशांत बलूचिस्तान प्रांत से तीन मार्च 2016 को गिरफ्तार किया था. उन्होंने वहां कथित तौर पर ईरान से लगी सीमा से प्रवेश किया था.


वहीं भारत का कहना है कि जाधव का ईरान से अपहरण कर लिया गया, जहां वह नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद कारोबार के सिलसिले में गये थे.