MEA ने पाकिस्तान के दावों पर कहा- कुलभूषण जाधव को पुनर्विचार याचिका दायर करने से इनकार करने के लिये मजबूर किया गया
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पाकिस्तान का दावा कि कुलभूषण जाधव ने पुनर्विचार याचिका दायर करने से इनकार किया, ढोंग को जारी रखना है.
नई दिल्ली: पाकिस्तान ने दावा किया है कि कुलभूषण जाधव ने पुनर्विचार याचिका दायर करने से इनकार कर दिया है. इस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान का दावा कि कुलभूषण जाधव ने पुनर्विचार याचिका दायर करने से इनकार किया, ढोंग को जारी रखना है.
विदेश मंत्रालय ने कहा, ''कुलभूषण जाधव को फर्जी मुकदमे के जरिये फांसी की सजा सुनाई गई, उन्हें अपने मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने से इनकार करने के लिये मजबूर किया गया.''
विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमारे बार-बार अनुरोध के बावजूद, पाकिस्तान भारत को कुलभूषण जाधव तक स्वतंत्र और अबाधित पहुंच से वंचित रखे हुए है. भारत ने चर्चा के लिए जाधव तक निर्बाध पहुंच की मांग की है.
बयान में कहा गया है, ''पाकिस्तान ने भारत को कुलभूषण जाधव मामले में प्राथमिकी, सबूत, अदालत के आदेश सहित कोई भी प्रासंगिक दस्तावेज सौंपने से इनकार कर दिया.'' मंत्रालय ने आगे कहा, ''यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान कुलभूषण जाधव मामले में आईसीजे के फैसले के पालन का भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहा है.''
विदेश मंत्रालय ने कहा कि कुलभूषण जाधव को बचाने और उसकी सुरक्षित भारत वापसी सुनिश्चित करने के लिए भारत हर संभव कोशिश करेगा.
पाकिस्तान का क्या है दावा?
पाकिस्तान के अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल अहमद इरफान ने दावा किया कि 17 जून, 2020 को भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को उनकी सजा और सजा पर पुनर्विचार के लिए एक याचिका दायर करने के लिए आमंत्रित किया गया था.
उन्होंने दावा किया कि अपने कानूनी अधिकार का प्रयोग करते हुए कुलभूषण जाधव ने सजा और सजा पर पुनर्विचार याचिका दायर करने से इनकार कर दिया.
अधिकारी ने कहा कि जाधव ने 17 अप्रैल, 2017 को दायर अपनी दया याचिका पर जोर दिया है. पाकिस्तान की मीडिया रपटों के अनुसार, पाकिस्तान सरकार ने जाधव को दूसरी कांसुलर संपर्क की पेशकश की है. जाधव को अप्रैल 2017 में जासूसी और आतंकवाद के आरोप में एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी.
इसके बाद भारत ने जाधव तक कांसुलर या राजनयिक पहुंच से इनकार करने और मौत की सजा को चुनौती देने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) का दरवाजा खटखटाया था.
वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे हेग स्थित आईसीजे में जाधव मामले में भारत के लिए मुख्य वकील थे. अदालत ने पिछले साल जुलाई में फैसला सुनाया था कि पाकिस्तान को जाधव की सजा की प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार करना चाहिए और साथ ही भारत को और अविलंब कांसुलर एक्सेस भी प्रदान करना चाहिए.
जाधव एक सेवानिवृत्त भारतीय नौसेना अधिकारी हैं. पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि जाधव एक वरिष्ठ भारतीय खुफिया अधिकारी हैं, जिन्होंने गिरफ्तारी के समय शांति भंग करने के लिए अवैध रूप से पाकिस्तान में प्रवेश किया था.
जुलाई 2019 में आईसीजे ने पाकिस्तान को आदेश दिया था कि वह जाधव को फांसी न दे और उसे सैन्य अदालत द्वारा दी गई मौत की सजा पर पुनर्विचार करने को कहा.
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