करतारपुर कॉरीडोर की सियासत पर सिद्धू को सुषमा से मिली फटकार
बीते महीने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ-ग्रहण समारोह में शिरकत के लिए मिली राजनीतिक मंजूरी के सियासी इस्तेमाल को लेकर सिद्धू को विदेश मंत्री की नाराजगी झेलनी पड़ी है.
नई दिल्लीः पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के लिए नया रास्ता खोलने का मुद्दा भारत-पाक रिश्तों में कूटनीतिक रस्साकशी का ही नहीं घरेलू सियासत का भी सबब बन गया है. सिखों के पवित्र करतारपुर साहिब गुरुद्वारा के लिए रास्ता खुलवाने के लिए जल्द कार्रवाई का आग्रह लेकर पंजाब के पर्यटन मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू दिल्ली पहुंचे. सिद्धू ने पूर्व खेल मंत्री एमएस गिल के साथ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की.
सूत्रों के मुताबिक, इस मुलाकात में सिद्धू को इस मुद्दे पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के तीखे सवालों का सामना करना पड़ा. इतना ही नहीं, बीते महीने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ-ग्रहण समारोह में शिरकत के लिए मिली राजनीतिक मंजूरी के सियासी इस्तेमाल को लेकर सिद्धू को विदेश मंत्री की नाराजगी भी झेलनी पड़ी. मामले पर केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने तो ट्वीट कर यहां तक कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सिद्धू को पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष को गले लगाने के मामले पर झिड़का है.
हालांकि, सोमवार दोपहर हुई इस मुलाकात के बाद पंजाब के पर्यटन मंत्री सिद्धू ने मीडिया से इतना ही कहा कि उन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से करतारपुर कॉरिडोर को खोलने के लिए पाकिस्तान से बात करने की अपील की ताकि केंद्र स्तर पर इस मामले को लेकर कदम बढ़ाया जाए और करतारपुर कॉरिडोर खोला जा सके. सिद्धू का कहना था कि पाकिस्तान इस कॉरिडोर को खोलने के लिए तैयार है और पाक सूचना मंत्री फवाद खान इस बात के संकेत भी दे चुके हैं. सो, अब भारत को इस मामले में आगे बढ़कर पाकिस्तान से बात करनी चाहिए. मुलाकात के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि इस मामले में विदेश मंत्री ने उनको भरोसा दिया है.
सिद्धू को मिली फटकार इस मुलाकात के कुछ ही देर बाद केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री और अकाली दल नेता हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट कर कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू से मुलाकात में नाराजगी जताई. पंजाब से एनडीए सरकार में मंत्री बादल के मुताबिक, विदेश मंत्री ने करतारपुर साहिब गलियारे को लेकर चल रही वार्ता में गड़बड़ी फैलाने और निजी यात्रा के लिए मिली राजनीतिक मंजूरी का दुरुपयोग कर पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष को गले लगाने के मुद्दे पर सिद्धू को झिड़का.
हालांकि, इस मामले पर सिद्धू की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. इसके पहले करतारपुर साहिब पर सिद्धू के बयानों पर हरसिमरत कौर बादल विदेश मंत्री को पत्र लिखकर पाकिस्तान से इस बाबत चल रही बातचीत में स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह भी कर चुकी हैं.
External Affairs Minister reprimands Navjot Sidhu for messing up Kartarpur Sahib corridor dialogue and misusing political clearance granted for private visit by hugging military Chief responsible for killing our soldiers.
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) September 17, 2018
सुषमा ने दी सिद्धू को नसीहत इस बीच सरकारी सूत्रों ने सिद्धू से मुलाकात के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नाराज होने की तस्दीक की. सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्री ने इस बात को लेकर नाराजगी जताई कि सिद्धू के पाकिस्तान दौरे के बाद पाक को करतारपुर मार्ग पर सियासत खेलने का मौका मिल गया है. इस बारे में भारतीय प्रस्ताव काफी समय से पाक के पास लंबित है और केवल बयानों से अधिक उनकी तरफ से कुछ भी नहीं आया है. बताया जाता है कि स्वराज ने सिद्धू को इस बात की भी नसीहत दी कि पाकिस्तान की जमीन पर उन्हें अपने बर्ताव में कूटनीतिक मर्यादाओं का भी ध्यान रखना चाहिए था.
पाकिस्तान की तरफ से कोई पेशकश नहीं इससे पहले विदेश राज्यमंत्री जनरल (रिटायर्ड) वीके सिंह ने दिल्ली में एक कार्यक्रम के बाद मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए पाकिस्तान की तरफ से करतारपुर साहिब मार्ग खोलने को लेकर किसी भी प्रस्ताव या आधिकारिक पेशकश से इनकार किया. बीते दिनों पाक सूचना प्रसारण मंत्री चौधरी फवाद यह कह चुके हैं कि पाकिस्तान करतारपुर साहिब मार्ग जल्द खोलेगा.
सिद्धू ने करतारपुर कॉरिडोर के लिए लिखा था खत भारत लौटने के बाद से ही सिद्धू करतारपुर गलियारा खोलने को लेकर लगातार सक्रिय हैं. उन्होंने इस मुद्दे को लेकर 10 दिन पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को खत लिखकर जल्द कार्रवाई का आग्रह किया था. वहीं इस बाबत प्रस्ताव भेजे जाने को लेकर पाकिस्तान से आई खबरों के बाद सिद्धू ने भारतीय मीडिया में बयान जारी कर इमरान सरकार की तारीफों के पुल बांधने में भी देरी नहीं लगाई.
पाक सेनाध्यक्ष को सिद्धू ने लगाया था गले आपको बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू 18 अगस्त को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में शरीक होने पहुंचे थे. क्रिकेट से राजनीति के मैदान में उतरे दोनों ही नेताओं के बीच दोस्ती है. लिहाजा सिद्धू की इस निजी यात्रा के लिए विदेश मंत्रालय ने उन्हें पाक यात्रा की राजनीतिक अनुमति दे दी थी.
इस्लामाबाद में इमरान के शपथ-ग्रहण स्थल पर ही सिद्धू की मुलाकात पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से हुई. भारतीय नेता से मिलने पहुंचे पाक सेनाध्यक्ष ने बातों-बातों में उन्हें बताया कि पाकिस्तान सिखों के लिए नारोवाल स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के लिए रास्ते खोलने पर विचार कर रहा है. इतना सुनते ही जिस तरह सिद्धू ने उन्हें गले लगाया और इस प्रस्ताव पर पाकिस्तान की तारीफ में कसीदे पढ़े उसको लेकर भारत में काफी तीखी राजनीतिक प्रतिक्रिया हुई. विपक्ष के बीजेपी के नेताओं ने ही नहीं बल्कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी पाक सेना प्रमुख को गले लगाए जाने के सिद्धू के कदम को नामंजूर करार दिया.
1974 के समझौते में नहीं है करतारपुर साहिब बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच धार्मिक स्थानों पर तीर्थयात्राओं को सहूलियत देने का एक समझौता सितंबर 1974 में हुआ था. इसके तहत दोनों देश अपने यहां मौजूद निर्धारित तीर्थस्थलों पर यात्राओं के लिए वीजा देते हैं. इसके तहत हर साल दोनों ओर के पांच-पांच चिह्नित धार्मिक स्थलों की तीर्थ यात्रा के लिए 20 जत्थों या समूहों को इजाजत दी जाती है. इस फेहरिस्त में पाकिस्तान के नारोवाल स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारा नहीं है. गुरुनानक देव से जुड़े इस गुरुद्वारे को 1974 के प्रोटोकॉल में जगह देने की मांग उठती रही है. पंजाब सरकार इस बारे में विदेश मंत्रालय को पहले भी पत्र भी लिखती रही है.
लंबे समय से हो रही है मांग लोग भी दोनों देशों के बीच गुरुद्वारे तक एक सुरक्षित गलियारा बनाने की मांग करते रहें हैं ताकि सिख धर्मावलंबी बिना पासपोर्ट या वीजा के इस गुरुद्वारे में दर्शन और पूजा कर सकें. विदेश मंत्रालय संबंधी संसद की स्थायी समिति ने भी बीते साल भारत-पाक संबंधों पर पेश अपनी रिपोर्ट में 2019 में गुरुनानक देव के 550वें प्रकाश पर्व से पहले करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को खोलने के लिए प्रयास किए जाने पर जोर दिया था.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक 1974 के प्रोटोकॉल में करतापुर साहिब को शामिल करने के लिए भारत सरकार समय-समय पर पाकिस्तान से मांग करती रही है. हालांकि, पाकिस्तान ने अभी तक इसका कोई जवाब नहीं दिया है. यानी यह पाकिस्तान की ओर से आई कोई नई पेशकश नहीं है बल्कि भारत की काफी समय से लंबित मांग है जिस पर पाक सरकार को मंजूरी की मुहर लगानी है.
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