नई दिल्ली: एसपीजी सुरक्षा एजेंसी की शुरुआत प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्रियों की सुरक्षा के लिए हुई थी. बाद में एसपीजी एक्ट में संशोधन करके पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिवारों को भी एसपीजी की सुरक्षा से जोड़ दिया गया. इसी संशोधन के अनुसार एसपीजी, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी जो कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की परिवार के प्रथम सदस्य हैं, को सुरक्षा देने लगी.
गांधी परिवार को एसपीजी सुरक्षा देने की शुरुआत 15 अक्टूबर 1991 से हुई. गांधी परिवार को एसपीजी सुरक्षा देने के क्रम में पिछले 28 साल से, हर वर्ष इसे बढ़ाया जा रहा है. ये अत्यधिक महत्व देने जैसा है. हर साल, सुरक्षा प्राप्त व्यक्तियों के सुरक्षा खतरे का विश्लेषण होता है, उसके खतरे के आभास के आधार पर सुरक्षा दी जाती है.
इस साल हुए सुरक्षा विश्लेषण में आभास किया गया कि गांधी परिवार की सुरक्षा एसपीजी से हटाकर "जेट प्लस" सुरक्षा कर दी जाए. "जेड प्लस" सिक्योरिटी के अतिरिक्त गांधी परिवार को पूरे देश में कई सुविधाएं दी जाएंगी.
सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की सुरक्षा हटाने की बड़ी वजह बनीं ये बातें
गांधी परिवार को पूरे देश में कहीं भी यात्रा के दौरान, एडवांस में सुरक्षा टीम मौजूद रहने की सुविधा मिलेगी. उनके काफिले को बुलेटप्रूफ कार मिलेगी. काफिले में रिमोट कंट्रोल जैमर्स की सुविधा भी होगी. इसके अतिरिक्त एंटी सबोटाज़ के कड़े सुरक्षा निर्देशों से लैस किया जाएगा.
इस तरह से देखा जाए तो सुरक्षा मानकों में कतई बदलाव नहीं हुआ है, बस सुरक्षा एजेंसी की बदली गई है.
सूत्रों के मुताबिक एसपीजी के अधिकारियों और जवानों को अपने कार्य की प्रकृति की वजह से प्रधानमंत्री की गुप्त सूचनाओं की और यात्राओं की जानकारी होती है, इसलिए यह भी सिफारिश या सलाह दी गई कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा के अतिरिक्त एसपीजी को किसी और व्यक्ति की सुरक्षा में तैनात न किया जाए.