नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में कल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए 2019 के सेमीफाइलन के नतीजे आने हैं. यह सेमी फाइनल गोरखपुर-फूलपुर उपचुनाव का है. कल यानी 14 मार्च को इन दोनों ही सीटों का नतीजे आएंगे. इन सीटों पर 11 मार्च को चुनाव हुए थे.
क्या हैं इन नतीजों के मायने?
इन दोनों सीटों के नतीजे उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता की परीक्षा हैं. 19 मार्च को योगी सरकार अपना एक साल पूरा कर रही है. ऐसे में इन नतीजों से यूपी की जनता का मूड सामने आएगा.
इसके साथ ही इन चुनाव के नतीजे यूपी में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन की भी परीक्षा है. मायावती ने अखिलेश की पार्टी को इनडायरेक्ट सपोर्ट दिया है. अगर इन दो सीटों पर ये परीक्षण सफल होता है तो 2019 में भी ये दोनों पार्टियां गठबंधन पर विचार कर सकती हैं.
फूलपुर और गोरखपुर में मायावती की पार्टी बीएसपी ने अखिलेश यादव के उम्मीदवारों को समर्थन दिया है. 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव में इन दोनों ही पार्टियों को बड़ा झटका लगा था.
साफ है कि अगर बीजेपी गोरखपुर और फूलपुर की लड़ाई जीतती है तो मतलब होगा कि मोदी और योगी सरकार की नीतियों पर जनता मुहर लगा रही है. दूसरी तरफ 2019 से पहले ही मायावती और अखिलेश के गठबंधन पर ग्रहण लग जाएगा लेकिन अगर इस जोड़ी का जादू चला तो मोदी के खिलाफ विपक्ष और एकजुट होने की कोशिश करेगा.
क्या कहते हैं आंकड़े?
2014 में फूलपुर सीट से केशव प्रसाद मौर्य को 5 लाख से ज्यादा वोट मिले थे जबकि उनके प्रतिद्वंदी और एसपी उम्मीदवार धर्मराज पटेल को सिर्फ 1 लाख 95 हजार वोट मिले थे.
गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ लगातार पांचवीं बार जीतकर यहां के सांसद बने थे. योगी को 5 लाख 39 हजार और दूसरे स्थान पर रही एसपी की राजमति निषाद को 2 लाख 26 हजार वोट मिले थे.