Measles Outbreak: खसरे की जद में कई राज्य, मुंबई में सबसे ज्यादा केस, डॉक्टरों ने बताए बचाव के उपाय
Measles Cases: भारत में खसरे का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है, सरकारें इससे निटने के लिए कदम उठा रही हैं. इस बीच डॉक्टरों ने खसरे से बचाव के उपाय बताए हैं.
Measles Outbreak News: देश के कई राज्यों से सामने आ रहे खसरे के मामलों (Measles Cases) ने सरकार और लोगों की चिंता बढ़ाई है. बिहार, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र और केरल कुछ ऐसे राज्य हैं जहां खसरे के मामले दर्ज हुए हैं. मुंबई (Mumbai) और महाराष्ट्र के अन्य जिलों में खसरे के मामलों में तेजी से उछाल देखा गया है. यहां खसरा से मौत के 10 मामले दर्ज किए जा चुके हैं. इस बीमारी से निपटने के लिए केंद्र ने राज्यों से संवेदनशील इलाकों में नौ महीने से पांच साल की उम्र के बच्चों को खसरा और रूबेला के टीके की अतिरिक्त खुराक देने पर विचार करने के लिए कहा है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सरकार ने कहा, ‘‘यह खुराक नौ से 12 महीने के बीच दी जाने वाली पहली खुराक और 16 से 24 महीने के बीच दी जाने वाली दूसरी खुराक के अतिरिक्त होगी.’’
खसरे से बचाव के उपाय
- चिकित्सकों के मुताबिक, सबसे पहले तो बच्चों को खसरा, कण्ठमाला (गलसुआ बीमारी) और रूबेला या एमएमआर की कम से कम तीन खुराकों की जरूरत होती है. डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए वैक्सीन लगवाना जरूरी है.
- पहली डोज नौ महीने की उम्र में बच्चे को लगनी चाहिए, इसके बाद 15 महीने की उम्र में दूसरी डोज और पांच या छह साल की उम्र में तीसरा टीका लगना चाहिए.
- डॉक्टरों के मुताबिक, संक्रमित बच्चों को क्वारंटीन कर देना चाहिए ताकि वायरस न फैले. अच्छा खानपान, पर्याप्त पानी का सेवन और एंटीबायोटिक्स लेने के साथ साफ-सफाई बनाए रखने से खसरे के संक्रमण से ठीक होने में मदद मिलती है.
- डॉक्टरों के मुताबिक, एमएमआर वैक्सीन की दो खुराकों ने कई विकसित देशों में खसरा, कण्ठमाला और रुबेला खत्म करने में सफलता पाई है.
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी संक्रमण की पुष्टि होने और मामले की पहचान होने के कम से कम सात दिनों बाद तक मरीज को पृथक रखना जरूरी बताया है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव ने यह कहा
मुंबई में गुरुवार (24 नवंबर) को खसरे के रिकॉर्ड 19 नए केस सामने आए और एक की मौत हो गई. स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखा है, जिसमें कहा है कि खसरे के मामलों में बढ़ोतरी विशेष चिंता का विषय है. स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव पी अशोक बाबू ने पत्र में कहा कि यह स्पष्ट है कि ऐसे मामले जहां पाए जा रहे हैं, वहां प्रभावित बच्चों को मुख्य रूप से टीका नहीं लगाया गया था और पात्र लाभार्थियों के बीच खसरा और रूबेला टीके का औसत कवरेज भी राष्ट्रीय औसत से काफी कम है.
आमतौर पर माना जाता है कि यह वायरल बीमारी नवंबर से मार्च के बीच पैर पसारती है. ऐसे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि शुरु में ही मामलों की पहचान के लिए बुखार और तेज निगरानी तंत्र पर काम करने की जरूरत है.
चार करोड़ बच्चों पर मंडरा रहा खतरा!
बता दें कि बुधवार (23 नवंबर) को विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने आशंका जताई कि दुनियाभर में करीब चार करोड़ बच्चे खसरे की चपेट में आ सकते हैं. दोनों संस्थाओं ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते पिछले साल करीब चार करोड़ बच्चों को खसरे का टीका नहीं लग सका है और बीमारी को लेकर पर्याप्त निगरानी भी नहीं हो सकी है, इस वजह से खसरे के मामलों में उछाल आ सकता है. अधिकारियों ने जानकारी दी कि 2021 में दुनियाभर में करीब 90 लाख बच्चे खसरे की चपेट में आए थे, जिनमें से 1.28 लाख मासूमों की मौत हो गई थी.
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